World Cancer Day 2023: खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कैंसर को मात देने के लिए उपचार के साथ ही मजबूत इरादा और जज्बा भी जरूरी है। अपने हौसले से बीमारी को हराकर आत्मनिर्भर होकर समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहे है। शहर की 65 वर्षीय शीला पत्नी संतोष श्रीवास्तव दो बार कैंसर से जंग जीत कर स्वस्थ जीवन-यापन कर रही है। इतना ही नहीं मां की जीवटता से प्रभावित होकर चिकित्सक बेटा भी जिला अस्पताल में नोडल अधिकारी के रूप में कैंसर के मरीजों का उपचार सेवाभाव से कर रहे है।
कैंसर मरीजों की जांच और उपचार में जुटे
जिला अस्पताल के सेवानिवृत चिकित्सक डा. संतोष श्रीवास्तव की प्रेरणा से उनके पुत्र विशाल ने चिकित्सक बनने की ठानी और सपना पूरा भी किया। जिला अस्पताल में पदस्थ सहायक चिकित्सक डा. विशाल के पास कैंसर के नोडल अधिकारी का प्रभार भी है। करीब एक साल से वे कैंसर मरीजों की जांच, उपचार और सेवा में जुटे है। जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में कैंसर विशेषज्ञ के अभाव में नोडल पर ही कैंसर मरीजों के उपचार का दायित्व है।
स्थानीय स्तर पर ही नहीं कोई सुविधा
आमतौर पर कैंसर शाखा का प्रभार लेने के लिए कोई आसानी से तैयार नहीं होता हैं। इस संबंध में डा. विशाल ने कहा- घर पर मां कैंसर से पीड़ित थी। उनके इलाज की स्थानीय स्तर पर कोई सुविधा नहीं होने से उन्हें लेकर अन्य शहरों में दौड़ना पड़ता था। मां ने दो बार जीवटता से इस बीमारी का मुकाबला किया। इस बीच उनका घुटनों का प्रत्यारोपण भी हो चुका है। आज वे स्वस्थ होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर रही है। उनका जज्बा औरों के लिए भी अनुकरणीय है। वर्तमान में जिला अस्पताल में कैंसर के मरीजों के लिए कीमोथैरेपी और पेलिएटिव केयर के साथ ही सर्जरी की सुविधा भी उपलब्ध है। अभी 32 मरीज कीमोथैरेपी व पेलिएटिव केयर सुविधा का फायदा उठा रहे हैं। वर्ष 2014 से 2022 के बीच 241 मरीजों का उपचार हुआ है।
खंडवा जिले में कैंसर मरीजों की स्थिति
स्तन कैंसर- 11
क्रोनिक माइलाइड ल्यूकीमिया- 16
सर्वाइकल कैंसर- 02
लंग कैंसर- 01
अन्य कैंसर- 02
Posted By: Nai Dunia News Network
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