पिपल्याबुजुर्ग (नईदुनिया न्यूज)। सरकार द्वारा सेना में भर्ती को लेकर जारी की गई योजना अग्निपथ के विरोध को लेकर देश के कई राज्यों में अराजकता, तोड़फोड़ हो रही है। इस घटना की समाज के सभी वर्गों ने निंदा करते हुए इसे देश के लिए घातक बताया है। समाजजन का कहना है कि विरोध के नाम पर देश को अराजकता के दावानल में झोंक देना अनैतिक व गैर जिम्मेदाराना व्यवहार है।
किराना व्यवसायी नरेंद्र सिन्हा का कहना है कि अग्निपथ योजना को लेकर अगर कोई मतभेद या इसे लेकर कोई भ्रम है तो इसके लिए सरकार से बात कर इसे दूर किया जाना चाहिए, किंतु देश की संपत्ति को इस प्रकार नष्ट करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।
स्टेशनरी व्यवसायी शैलेंद्र जैन ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि कतिपय राजनीतिक दल राजनीतिक लाभ के लिए देश में अशांति उत्पन्ना कर रहे हैं। यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को इन उपद्रवी तत्वों पर कठोर कार्रवाई करना चाहिए। लोगों की जान माल की रक्षा के लिए सरकार और समाज को मिलकर कार्य करना चाहिए।
युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की है योजना
फोटोग्राफी व्यवसाय से जुड़े सुरेंद्र तवर का स्पष्ट अभिमत है कि केंद्र सरकार द्वारा सेना को सक्षम बनाए जाने युवाओं को राष्ट्रवाद से प्रेरित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाए जाने के लक्ष्य को लेकर जो अग्निपथ योजना तैयार की गई है। यह हमारे नौजवान के लिए लाभकारी है। दुर्भाग्य यह है कि भ्रम, अराजकता और संदेह के बादलों से एक बहुउद्देशीय योजना को धूमिल किए जाने की साजिश की जा रही है।
कला स्नातक गृहिणी उषा बिरला ने देश में चल रही आंदोलन के नाम पर अराजकता को राजनीतिक दलों की विकृत मानसिकता का दुष्परिणाम निरूपित किया है। दरअसल जिस प्रकार किसान आंदोलन में भ्रम उत्पन्ना कर देश में अस्थिरता उत्पन्ना करने की कोशिश की गई थी, उसी की पुनरावृत्ति की जा रही है। बिरला ने कहा है कि राजनीतिक लाभ के लिए देश को पीछे धकेलने की साजिश की जा रही है। उन्होंने आंदोलनकारियों को कठोरतम सजा दिए जाने की जरूरत पर बल दिया है।
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