बड़वाह। नईदुनिया न्यूज

निमाड़ी बोली की संपन्नता को मद्देनजर रखते हुए किया गया साहित्यिक सृजन एक संस्कृति को अमर रखता है। 'सच्चाई तो याज छे' जैसी पुस्तक लिखना अपनी लोक संस्कृति से जुड़ना है। इस दृष्टि से इस प्रयास की मुक्त कंठ से सराहना की जाना चाहिए।

यह बात अखिल निमाड़ लोक परिषद के अध्यक्ष कुंवर उदयसिंह अनुज ने ओमप्रकाश जोशी द्वारा रचित 'सच्चाई तो याज छे' और 'अतीत में थोड़ा टहल आया' काव्य संकलन के विमोचन समारोह में कही। मुख्य अतिथि भालचंद्र जोशी ने कहा कि प्रत्येक लेखक को सबसे पहले पढ़ना चाहिए। रचनाकार जोशी ने अपने गहन अध्ययन, अनुभवों तथा प्रासंगिकता के आधार पर जो कुछ समाज के सामने रखा है उसका आंकलन भविष्य करेगा। विशेष अतिथि शिशिर उपाध्याय ने 'जब भी कोई अच्छा काम करू मां का चेहरा याद आता है' गीत के माध्यम से आयोजन को ऊंचाइयां प्रदान की।

दोनों पुस्तकों की समीक्षा

साहित्य समीक्षक दुर्गाशंकर केशरे ने अपनी सहज एवं सरल प्रभावी शैली से आयोजन को आत्मीयता दी। अभिनंदन पत्र का वाचन जीएस गावशिंदे नेकिया। बालकृष्ण चतुर्वेदी, दिनेश जोशी ने भी बात रखी। स्वागत गीत प्राची अत्रे ने प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण ओमप्रकाश जोशी ने दिया। वैभव जोशी, सत्येंद्र अत्रे, जगदीश जोशी, जगदीश बर्वे, अशोक जोशी, राधेश्याम कर्मा, मदनसिंह भाटिया, महेश शर्मा, मनमोहन जोशी, रामकृष्ण उपाध्याय, सुभाष बड़ोले, राधेश्याम चौरे आदि उपस्थित थे। संचालन ओपी वर्मा, नरेन्द्र दुबे व राजेश अटूदे ने किया। आभार हर्षिता अत्रे ने माना।

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