Road Safety Campaign Mandsaur: मंदसौर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। नईदुनिया समूह की रोड सेफ्टी सीरिज के दूसरे चरण के तहत शैक्षणिक संस्थाओं में यातायात की पाठशाला लगने लगी है। इसके तहत विद्यार्थियों को सड़क पर सुरक्षित यातायात के लिए आवश्यक नियमों को लेकर जानकारी देना शुरू कर दी गई। दूसरे दिन शनिवार को गुराड़िया देदा स्थित श्रीजी नर्सिंग कालेज में अध्ययनरत विद्यार्थियों को यातायात सूबेदार शैलेंद्रसिंह चौहान ने सड़क पर चलने के नियमों की जानकारी दी। दुपहिया वाहन चलाने वालों को बताया कि सिर पर हेलमेट, चार पहिया वाहन चालकों को सीट बेल्ट और दोनों ही तरह के वाहनों को चलाते समय गति पर नियंत्रण काफी जरूरी है।
श्रीजी नर्सिंग कालेज के सभागृह में नर्सिंग के लगभग 150 से अधिक विद्यार्थियों को यातायात के सबक दिए गए। यातायात थाना प्रभारी सूबेदार शैलेंद्रसिंह चौहान ने इन विद्यार्थियों से सबसे पहले यही पूछा गया कि कितने लोग 18 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके हैं। इनमें अधिकांश ने यही जवाब दिया कि 18 वर्ष से ज्यादा के हो गए। इस पर सभी को बताया गया कि वाहन चलाने के लिए लाइसेंस ज्यादा जरूरी है, इसलिए सबसे पहले लाइसेंस बना लेना चाहिए। इसके अलावा सड़क पर वाहन लेकर उतरेंगे तो सबसे पहले सही ज्ञान की जरूरत होगी।
सड़कों के आस-पास लगे संकेतकों की पूरी जानकारी दी और उन्हें समझने और उनका पूरी तरह पालन करने की बात कही। विद्यार्थियों को बताया गया कि सड़क पर चल रहे अन्य वाहन चालकों को सुरक्षित रखने की जिम्मेगदारी भी हमारी ही है। इसलिए हम भी तभी बचेंगे जब सभी सही तरीके से चलेंगे। उपस्थित विद्यार्थियों ने इस बात को काफी अच्छे तरीके से सुना और संकल्प भी लिया कि इन सभी नियमों का हम खुद भी पालन करेंगे और कराएंगे भी सही।
यातायात संकेतक की भी जानकारी दी
सूबेदार शैलेंद्रसिंह ने विद्यार्थियों को एक डेमो देकर यातायात संकेतकों की पूरी जानकारी दी। इसमें आने-जाने, रुकने के साइन सहित पूर संकेतक की जानकारी दी गई। विद्यार्थियों को उदाहरणों सहित बताया गया कि सड़क पर सुरक्षित यातायात के लिए नियमों का पालन कितना जरूरी है। मुख्या रूप से तीन बातें बहुत जरूरी है कि दुपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट बहुत जरूरी है। इसके अलावा वाहनों की गति भी नियंत्रित होना चाहिये।
नईदुनिया टीम द्वारा सड़क पर सुरक्षित यातायात को लेकर की जा रही कवायद में हम सड़क निर्माण से लेकर उस पर दी जाने वाली सुविधाओं व मापदंडों के उल्लांघन पर आमजन को जानकारी दे चुके हैं। इसमें यह बताया गया है कि किस तरह टोल कंपनियां राशि वसूलने में आगे हैं और सुविधाएं देने में उतनी ही पीछे हैं। हालांकि अब मंदसौर जिले में टोल कंपनियों की लापरवाही उजागर होने के बाद अफसरों ने भी थोड़ी सख्ती बरती हैं और ब्लैक स्पाट वाली जगहों पर आवश्याक व्यवस्थाएं करने के लिए संबंधित कंपनियों के कर्ताधर्ताओं से जवाब-तलब भी होने लगे हैं। वहीं नईदुनिया टीम ने अब दूसरे चरण में शिक्षण संस्थाओं पर पहुंचकर बच्चों को भी सुरक्षित यातायात के लिए जागरूक करने के साथ ही यातायात नियमों को कंठस्थ कराना शुरू कर दिया है। इसमें सबसे पहला सबक यही दिया जा रहा है कि जान है तो जहान है।
राजमार्गों पर यह मिली थीं खामियां
- महू-नीमच राजमार्ग का जिले में लगभग 60 किमी तक का हिस्सा गुजरता है। इसमें कई जगह तो यातायात संकेतक लगे हुए हैं, लेकिन डेंजर जोन वाले चौराहों, मार्ग संगम पर आने वाले शहर व गांवों सहित अधिकांश जगह संकेतक नहीं लगे हुए हैं। इसके चलते लोग कई आगे निकल जाते हैं। सबसे ज्यादा समस्या रतलाम व नीमच दोनों तरफ से मंदसौर आने वालों को होती है। मंदसौर के दोनों ही तरफ बायपास पर चौराहों पर न तो ठीक से लाइट की व्यहवस्था है और न ही संकेतक ऐसे लगे हुए हैं जो वाहन चालकों को ठीक से दिख सके। इसके चलते कई बार होता यह है कि लोगों को मंदसौर शहर में प्रवेश करने के बजाय भ्रमित होकर बायपास पर चले जाते हैं और कुछ किमी आगे जाकर फिर लौटते हैं। यह स्थिति अन्ये मार्गों पर भी हैं। सभी जगह यातायात घना होने से संकेतक नहीं होने से दुर्घटनाओं की आशंका बनी भी रहती हैं और होती भी हैं। जबकि संकेतकों को स्पष्टता के साथ एक किमी पूर्व से ही लगाना चाहिए और उस पर किमी भी अंकित होना चाहिए।
रात में नहीं रहते हैं रेडियम युक्त स्टापर
जिले के प्रमुख फोरलेन मार्ग पर पूरी तरह टोल वसूली हो रही हैं। इसके अलावा मंदसौर-चौमहला व मंदसौर-सुवासरा मार्ग पर भी टोल वसूली होती है। इसके बाद भी टोल कंपनी इन मार्गों पर सुविधाएं देने में काफी पीछे हैं। हमारे साथ गए रोड विशेषज्ञ मनीष पुरोहित ने बताया कि रात में प्रमुख मार्ग संगम व परिवर्तित मार्गों पर रेडियम युक्त स्टापर नहीं लगाए जाते हैं। अधिकांश स्थानों पर आने वाले शहर व व गांव के प्रवेश के बोर्ड लगे हैं, पर वह रात में नजर नहीं आते हैं। डायवर्सन उस स्थान बनाया जाता है, जहां पर सड़क निर्माण कार्य चल रहा है। साथ ही बायपास पर भी इस तरह के डायवर्सन बोर्ड लगाना आवश्यक होते हैं। देखने में आया कि डायवर्सन बोर्डों का अभाव रहता है। दिन में तो किसी तरह से व्यवस्था बन जाती है लेकिन रात के समय में डायवर्सन मार्ग पर रेडियम युक्त पर संकेतक नहीं होने से बेहद चिंताजनक स्थिति बन जाती है। कई बार निर्माणाधीन सड़क और बायपास के परिवर्तित मार्ग पर हादसे होते हैं। दिन में फोरलेन स्टाफ के कर्मचारी तैनात नहीं रहते हैं रात की तो बहुत दूर की बात है।
तीसरी आंख का भी पहरा नहीं
मंदसौर जिले के एकमात्र फोरलेन महू-नीमच राजमार्ग पर सबसे बड़ी समस्या रांग साइड चलने वालों की भी हैं। दो से तीन किमी का चक्कर बचाने के लिए मोटरसाइकिल, चार पहिया वाहन चालक, ट्रैक्टर व अन्यण छोटे वाहन चालक फोरलेन पर गलत साइड में चलते हैं। इन पर निगरानी के लिए टोल कंपनी को कैमरे लगाना चाहिए। दिनभर में सैकड़ों वाहन इस तरह सफर करते हैं और छुट-पुट दुर्घटनाएं तो रोज होती ही हैं। कई बार बड़ी भी हो जाती हैं। सीसीटीवी कैमरे नहीं होने से हादसों के जिम्मेदार भी पकड़ में नहीं आ रहे हैं। कम दूरी तय करने व पेट्रोल-डीजल बचाने के लालच में हादसों को न्योता दे रहे हैं। फोरलेन की टोल कंपनी के जिम्मेदारों ने भी इस तरह के वाहन चालकों को रोकने के लिए किसी भी तरह से फोरलेन के कर्मचारी की तैनाती रहती है।
50 किमी तक भी नहीं है ले बाय
फोरलेन व अन्य टोल मार्गों पर वाहन चालकों व यात्रियों की सुविधा के लिए ले बाय बनाना भी जरूरी है और इसके लिए भी दो ले बाय के बीच की न्यूनतम दूरी 40 किमी होना चाहिए। इन जगहों पर वाहन खड़े करने के समुचित स्थान के साथ ही महिला व पुरुषों के लिए सुविधाघर व व एक प्रतीक्षालय जैसा बड़ा कमरा बनाना है जिसमें ट्रक चालक या अन्य लोग सुस्ता सके। फोरलेन पर ले बाय तो बने हैं पर उनके बीच की दूरी 50 किमी से भी ज्याएदा है। इसके अलावा रोशनी की पर्याप्त व्यीवस्थां नहीं हैं पानी भी कई बार रहता ही नहीं हैं। इससे यात्री भटकते रहते हैं। वहीं कुछ लोग पेट्रोल पंपों पर जाते हैं पर पेट्रोल पंप पर पेयजल तथा पुरुष और महिलाओं के अलग-अलग सुविधाघर मिल जाते हैं। पर रेस्ट एरिया नहीं होता है। अल्पाहार का भी इंतजाम नहीं होता है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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