World Cancer Day 2023: किशोर ग्वाला, मंदसौर। कैंसर बीमारी का नाम सुनते ही होश उड़ जाते हैं, लेकिन इस बीमारी पर विजयी पाई जा सकती है, इसके लिए स्वयं में बहुत आत्मविश्वास और हौसले की आवश्यकता होती है। यह कहना है कैंसर को हरा चुके पूर्व पोस्टमास्टर चंद्रप्रकाश पुरोहित का, उनका कहना है की मुझे कैंसर था, जब मुझे इस संबंध में पता चला तो मैं बिल्कुल भी घबराया नहीं, मैंने हौसला बनाए रखा और कैंसर से उपचार के माध्यम से लड़ता रहा और आखिरकार कैंसर हार गया, मैं अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं और लोगों को भी यहीं कहता हूं कि कैंसर से डरने की बजाय लड़ने की जरूरत है।

घुटने के ऊपर हो गई थी गठान

कैंसर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति एवं उनके परिवार की रातों की नींदे खराब हो जाती है। लेकिन कैंसर बीमारी से घबराने हौंसला रखकर सामना किया जाए तो जिदंगी में फिर से खुशहाली लौट सकती है। यह सब मंदसौर निवासी 64 वर्षीय पूर्व पोस्टमास्टर चंद्रप्रकाश पुरोहित के साथ भी हुआ था। उन्होंने बताया की 10 साल पहले 54 साल की उम्र में 2023 में उन्हें दाएं पैर में घुटने के ऊपर गठान हुई थी, 2017 में मंदसौर में डाक्टर को दिखवाया था, देखते ही डाक्टर ने कहा यह गठान कैंसर की है, तत्काल उपचार करवाइए। कैंसर का नाम सुनते ही पैरों तले जमीन खिसक गई। पत्नी, बच्चों के चेहरे आंखों के सामने आने लगे, पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मन मजबूत किया और अहमदाबाद पहुंचकर वायएफसी एवं आपरेशन करवया। यहां पैर से गठान निकाल दी गई।

कैंसर को कभी हावी नहीं होने दी

कैंसर का पता चलने के बाद भी पूर्व पोस्टमास्टर प्रधान डाकघर मंदसौर चंद्रप्रकाश पुरोहित अपने मन पर कैंसर बीमारी को कभी हावी नहीं होने दिया। इसका नतीजा ही यह हुआ कि वे बीमारी को जीतने में सफल रहे। अब दूसरे कैंसर मरीजों को भी दृढ़ इच्छाशक्ति बनाए रखने की सलाह देते हैं। उन्होंने बताया की डाक्टरों ने कहा था की कैंसर तीसरी स्टेज पर है। आपरेशन के बाद मैं धीरे-धीरे स्वस्थ हो गया, अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं और कैंसर रोगियों को भी कहता हूं की कैंसर बीमारी से घबराए नहीं, सामना करें, कैंसर पर विजयी संभव है, स्वयं को कभी कमजोर न होने दे।

मुझे चिकित्सकों ने कहा था जिदंगी कभी भी बिना सहारे नहीं उठ पाओंगे, कभी सीढ़ियां नहीं चढ़ पाओगे, आलकी-पालकी नहीं बैठ पाओंगे। अहमदाबाद से मंदसौर आने के एक बाद एक माह फिजियोथेरापी करवाई। प्रतिदिन योग, प्रणायाम करता हूं। पैर में अब किसी तरह की परेशानी नहीं है। मैं प्रतिदिन पांच किलोमीटर पैदल चलता हूं, दौड़ता हूं, आलकी-पालकी भी बैठता हूं और सीढ़ीयां भी चढ़ जाता हूं। यह सिर्फ मैंने हौंसले की ताकत से ही किया है।

धीरे-धीरे बढ़ी हो रही थी गठान

पूर्व पोस्टरमास्टर चंद्रप्रकाश पुरोहित ने बताया की वर्ष 2013 में दाएं पैर के घुटने के ऊपर गठान हो गई थी। धीरे-धीरे गठान बढ़ रही थी। शुरू में कुछ पता नहीं चला। 2017 में मैं डाकघर में बैठा था, डा. वीके गांधी उस दिन डाकघर अपने काम से आए थे, मैंने उन्हें पैर की गठान दिखाई तो उन्होंने कहा की ये तो कैंसर है, तत्काल निकलवाओं। इसके बाद मैंने देर नहीं की ओर उपचार के लिए अहमदाबाद पहुंच गया। 25 मई 2017 को बायएफसी करवाई और छह जून 2017 को आपरेशन हो गया। छह सप्ताह तक बेड रेस्ट पर रहा। इसके बाद मैंने योग, प्रणायाम, सुबह पैदल भ्रमण शुरू किया। मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं। आपरेशन हुआ तब तक मैंने डा. से कहा था की मैं मानता ही नहीं हूं की मुझे कैंसर है।

Posted By: Nai Dunia News Network

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