मुरैना (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मुरैना में जहरीली शराब पीने से 24 लोगों की जान चली गई और कई लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। यह संख्या और ज्यादा हो सकती थी, यदि मानपुर पृथ्वी गांव में 102 साल की वृद्धा की मौत न होती। पुलिस जांच में पता चला है कि जिस दुकान से सप्लाई हुई शराब से ज्यादातर मौतें हुई है, वह दुकान संचालक की मां के निधन के कारण बंद थी। नौकरों ने चोरी-छिपे जिन्हें शराब उपलब्ध कराई, उनकी मौत हुई या हालत बिगड़ गई।
मानपुर पृथ्वी गांव में 10 जनवरी को 102 साल की बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी। इस मौत ने कई लोगों की जान बचा ली, क्योंकि यह बुजुर्ग महिला जहरीली शराब बनाने-बेचने वाले रामवीर राठौर की मां थी। 10 जनवरी की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया, इस कारण शराब की दुकान बंद हो गई।
नौकरों ने दुकान के पिछले दरवाजे से कुछ लोगों को चोरी-छिपे शराब बेची। जिन-जिन ने यह शराब पी उनकी मौत हो गई या बीमार हैं। दुकान खुली रहती तो छैरा, जौरा, सुमावली, सिकरौदा, बागचीनी से लेकर आसपास के कई गांवों में जहरीली शराब पहुंच जाती।
तीन और की हालत बिगड़ी
गुरुवार-शुक्रवार की रात जहरीली शराब से पीड़ित तीन और लोग जिला अस्पताल आए। इन्हें मिलाकर जिला अस्पताल में 12 बीमार उपचाररत हैं। ग्वालियर के अस्पताल में भर्ती 10 लोगों में से तीन की हालत नाजुक है। ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में भर्ती सुनील पुत्र रामदीन शाक्य, राजकुमार पुत्र कप्तान सिंह किरार के अलावा शराब बनाने के आरोपित रामवीर राठौर की आंखों की रोशनी कम हो गई है। क्या कहते हैं पीड़ित
6 साल के बेटे ने फेंक दिया पउआ, इसलिए बच गया
मैं तो कई साल से यह दारू पी रहा हूं। छैरा में मानपुर तिराहे पर रामवीर की दुकान से 40 रुपये में पउआ लिया और पास ही बैठकर पीने लगा। 6 साल का बेटा विक्की साथ था। उस दिन शराब का स्वाद कड़वा था और पीते ही जीभ एंठने लगी। मैंने जोर की फुरफुरी ली तो बेटे ने पउआ उठाकर फेंक दिया, इसलिए एक पैग ही पी पाया। अगर पूरा पउआ पी लेता तो मेरी भी जान नहीं बचती।
धर्मेन्द्र जाटव, हिम्मतगढ़ गांव
पहली बार पी, साथ में पीने वाला मर गया
मैंने तो जीवन में कभी शराब नहीं पी। रविवार को पहली बार स्वाद चखा और पीते ही उल्टी जैसा मन होने लगा। मैं तो उठकर चला गया, लेकिन मेरे साथ केदार जाटव ने पूरा पउआ पिया था उसकी मौत हो गई। गुरुवार को पेट में जलन हुई तो मैं अस्पताल आ गया।
सुंदरलाल जाटव, मानपुर पृथ्वी गांव
जीभ एंठने लगी तो फेंक दिया पउआ
- 10 तारीख को मैं अहमदाबाद से आया। पहले मुरैना में एक सफेद का पउआ लेकर पीया। शाम 4 बजे गांव में पहुंचा तो वहां से 50 रुपये का पउआ लिया। उसे खोलते ही बहुत तेज बदबू आई, पर 50 रुपये खर्च किए, इसलिए पीने की मन बनाया। उस शराब का स्वाद इतना कड़वा था कि जीभ एंठने लगी। एक चौथाई हिस्सा पीया और बाकी फेंक दिया। गुरुवार रात से पेट मेंं ऐंठन व उल्टी जैसा मन होने लगा, इसलिए तत्काल अस्पताल आ गया।
राघवेंद्र किरार, मानपुर पृथ्वी गांव
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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