Narsinghpur News: प्रकाश चौबे, नरसिंहपुर (नईदुनिया) पर्यावरण को बेहतर बनाने पौधारोपण तो सभी करते हैं लेकिन प्रकृति की सेवा वह भी पौधरोपण जैसे कार्य से हर दिन शायद ही कोई करता हो। वह भी इस जज्बे से कि अपने गांव, पड़ोस के अलावा दूसरे गांवों भी पौधा लगे वह भी उस स्थान पर जहां पौधे की पूरी सुरक्षा हो सके। प्रकृति की सेवा का कुछ ऐसा ही जुनून नरसिंहपुर जिले के सांईखेड़ा के पीपरपानी बंधा निवासी किसान साहब सिंह लोधी का है। उन्होंने अपने घर पर ही नर्सरी बनाई है और वर्ष 2019 से हर दिन एक पौधा लगा रहे हैं। साहब सिंह घर से पैदल निकलें या बाइक पर उनके पास एक पौधा जरुर होता है जिसका वह उचित स्थान पर रोपण करते हैं। उनका यह संकल्प भी है कि जब तक जीवन है वह हर दिन एक पौधा लगाते रहेंगे।
पौधारोपण बना दिनचर्या का हिस्सा: पर्यावरण सरंक्षण के लिए हर दिन एक पौधा लगाना साहब सिंह की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। वे कहते हैं कि 15 अगस्त 2019 से उन्होंने हर दिन पौधा लगाना शुरू किया था और यह कार्य अब जिंदगी भर जारी रहेगा। अब तक करीब 500 पौधे लगा चुके हैं। वह पौधा उन्हीं स्थानों पर लगाते हैं जहां रोपे गए पौधे की सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी लेता है।
तैयार की नर्सरी: पीपरपानी बंधा गांव में साहब सिंह ने अपने घर पर ही आंवले के पौधे की नर्सरी तैयार की है जिसमें लगे करीब 500 पौधों का रोपण वह गांव-गांव जाकर कर रहे हैं। वे बताते हैं कि कोरोनाकाल में भी उनका कार्य नहीं रूका और उन्होंंने सुरक्षित तरीके से आसपास के गांवों में पौधा रोपण कर अपने हर दिन पौधा रोपने के संकल्प को पूरा किया।
नर्मदा किनारे लगाएंगे पौधे: अब उनका लक्ष्य नर्मदा के किनारे पौधारोपण का है। इसके लिए उन्होंने नर्मदा के सोनादहार घाट से पांसी घाट तक करीब 10 किमी का दायरा भी अपने संकल्प में शामिल किया हैं। जहां पर वह नर्मदा किनारे आम, बरगद, पीपल जैसे पौधे लगाएंगे। साहब का कहना है कि पर्यावरण के साथ जलसरंक्षण भी जरुरी है और नर्मदा का सरंक्षण आज सबसे बड़ी जरुरत है। नर्मदा के किनारे पौधा रोपण करने से यह लाभ होगा कि नर्मदा के घाट सुरक्षित रहेंगे लोगों में पौधारोपण के साथ ही नर्मदा सरंक्षण की भावना भी बढ़ेगी। साहब सिंह का हर दिन का पौधारोपण कार्य क्षेत्र में उनकी पहचान बन गया है और लोग भी पौधारोपण के प्रति उनकी निष्ठा से प्रेरित होकर पर्यावरण की रक्षा के लिए अपने-अपने स्तर पर यथाशक्ति कार्य कर रहे हैं।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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