MP Silwani Vidhan Sabha: सिलवानी से प्रवीण मालवीय। भोपाल से करीब 80 किमी दूर सांची विधानसभा क्षेत्र पार करते ही सिलवानी विधानसभा क्षेत्र की सीमा शुरू हो जाती है। केवल सड़क मार्ग से जुड़े इस क्षेत्र में पहुंचते ही एक बात खलती है कि रायसेन के खरवई में राइस मिल के अलावा क्षेत्र में कोई फैक्ट्री या ऐसा बड़ा संस्थान नजर नहीं आता जो स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का माध्यम बन सके। बेगमगंज तहसील में सड़क पर मध्यम दर्जे का बाजार है, इससे 55 किमी की दूरी पर सिलवानी में भी यही स्थिति दिखती है। पिछड़े इलाकों को अपने में समेटे सिलवानी विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक रामपाल सिंह की गिनती भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में होती है।

पीडब्यूडी सहित विधि विभाग के मंत्री की जिम्मेदारी भी रामपाल सिंह संभाल चुके हैं। दरअसल, यह विधानसभा सीट भी अपेक्षाकृत नई है और इसलिए विकास भी यहां देरी से पहुंचा नजर आता है। रामपाल सिंह उदयपुरा विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। 2006 में विदिशा लोकसभा सीट से सांसद बने। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अलग हुई सीट पर पहली बार लोक जनशक्ति पार्टी के देवेंद्र पटेल के हाथों हार का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद 2013 और फिर 2018 में लगातार दो बार जीत हासिल कर उन्होंने इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत की।

अस्पताल भवन बना, डाक्टर नहीं

बेगमगंज में हाल ही में 21 करोड़ रुपये की लागत से अस्पताल भवन बनाया गया है। यहां लैब सहित अन्य सुविधाएं हैं लेकिन इसके संचालन के लिए पर्याप्त डाक्टर नहीं हैं। यहां आए शारदा प्रसाद बताते हैं भैया मरीज को केवल लेटाकर रखना हो तो यहां भर्ती होओ नहीं तो भोपाल जाना ही सही है। यहां डाक्टरों के 22 पद स्वीकृत हैं लेकिन फिलहाल आधे से कम ही पदस्थ हैं। रामपाल सिंह भी इस कमी को स्वीकारते हुए जल्द डाक्टर पदस्थ कराने की बात कहते हैं। सीएम राइज स्कूल जरूर खुला है। वहां संसाधन जुटाए जा रहे हैं। अन्य सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती।

विधायक का दावा

अस्पताल बनवाया है, डाक्टरों की व्यवस्था भी करवाई जाएगी। भोपाल में बंगले पर भी क्षेत्र से आने वाले रोगियों के लिए व्यवस्था करा रखी है। तीन लोगों की ड्यूटी इसी बात के लिए लगा रखी है कि रोगियों को अस्पताल पहुंचवाएं, लाएं, इलाज में मदद करें। बेगमगंज के अस्पताल में डाक्टर की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से बात की है। हमने सबसे ज्यादा काम सड़कों को लेकर किया है। 90 प्रतिशत गांव जोड़ दिए हैं, 10 प्रतिशत रह गए हैं, उन्हें भी हम जोड़ लेंगे। बेगमगंज तहसील में सड़कें बना दी गई हैं। पुल, भवन, पंचायत भवन बना दिए गए हैं। - रामपाल सिंह, भाजपा विधायक, सिलवानी

नल कनेक्शन तो मिला लेकिन पानी समय पर नहीं आता

बरखुआ और खाबरा के ग्रामीण बताते हैं कि अभी एक साल ही हुआ है नलों के कनेक्शन मिल गए हैं। लेकिन पानी समय पर नहीं आता, कहीं पानी ठीक-ठाक आ जाता है तो कहीं बहुत कम आता है। क्षेत्र के कई गांवों में अब भी ग्रामीण नलकूप, कुएं आदि पर निर्भर हैं।

आदिवासी बड़ा वोट बैंक

सिलवानी क्षेत्र में बड़ी संख्या में गोंड आदिवासी निवास करते हैं। स्थानीय लोग इस पट्टी को रामपाल सिंह की सबसे बड़ी ताकत मानते हैं। इस इलाके में कई बूथ तो ऐसे रहे हैं जहां कांग्रेस को एक भी वोट नहीं िमला। क्षेत्र के लोग विधायक की गैरमौजूदगी से भी नाराज दिखाई देते हैं। हालांकि रामपाल सिंह कहते हैं कि मैं दौरा कर लोगों से मिलता ही हूं।

विपक्ष का प्रतिकार

वर्ष 2018 के चुनाव में यहां कई सभाएं हुई इसमें से कई में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुल्तानगंज और बमोरी को तहसील बनाने की घोषणा की। बेगमंगज से सुल्तानगंज मार्ग का बड़ा हिस्सा जर्जर है। 62 गांव ऐसे हैं जहां ग्रामीण दो से तीन किमी दूर से पानी लाते हैं। शिक्षा की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में कालेज की बात थी वह कहीं नहीं दिखती। चुनाव के पहले लाइन लगाकर फार्म भरवाए गए लेकिन आज चार लोग भी ऐसे नहीं मिलेंगे जो बता दें कि किसी बैंक ने उन्हें रोजगार के लिए 20 लाख का रोजगार दिया हो। बेगमगंज से टपरा तक की प्रमुख सड़क भी जर्जर है। कांग्रेस रोजगार के लिए ठोस कदम उठाएगी। - राजेंद्र सिंह तोमर, महामंत्री, कांग्रेस

आरोग्य केंद्र के सामने झोलाछाप

इलाके के ढांडिया गांव में सड़क किनारे एक गुमठी में झोलाछाप अपना क्लीनिक चलाते नजर आते हैं। टिन की छत और दीवारों वाले टपरे के क्लीनिक में मरीज लेटा हुआ है, उसे ग्लूकोज चढ़ाई जा रही है, पत्नी पास ही बैठी हुई है, यहीं चाय की दुकान भी चार-पांच ग्रामीण बैठे नजर आते हैं। राजाराम बताते हैं आरोग्य केंद्र खुलता है, लेकिन फिलहाल बंद है, कोई बीमार हो तो डाक्टर साब इंजेक्शन वगैरह लगा देते हैं, अब क्या करें? इतने से इलाज के लिए बेगमगंज जाएं या गैरतगंज जाएं? इधर सरकारी कालेज खोले जाने का वादा पूरा नहीं हुआ। भोपाल या दूसरे शहर जाना विद्यार्थियों की मजबूरी है।

Posted By: Prashant Pandey

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