Ratlam Crime News: रतलाम। न्यायालय ने युवक की हत्या कर शव पेटी में भरकर मांडू ले जाकर खाई में फेंकने के बहुचर्चित मामले में उसके ममेरे भाई 24 वर्षीय बादल जाट पुत्र ईश्वरलाल जाट निवासी ग्राम छत्री थाना बिलपांक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया। उसे सात वर्ष के सश्रम कारावास व दो हजार रुपये जुर्माना से भी दंडित किया गया। फैसला गुरुवार को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मणकुमार वर्मा ने सुनाया।
प्रकरण यह है कि 21 वर्षीय नीलेश चौधरी उर्फ अजय पुत्र बाबूलाल जाट निवासी ग्राम पंचेड़ थाना नामली रतलाम नगर के गणेश नगर में रहकर आइटीआइ में टर्नर का डिप्लोमा कर रहा था। उसके ममेरे भाई बादल का चार माह पहले ही विवाह हुआ था।
नीलेश ने कहीं से बादल की पत्नी के फोन नम्बर प्राप्त किए थे । वह कुछ समय से बादल की पत्नी को वाट्सअप पर मैसेज कर परेशान कर रहा था। परेशान होकर पत्नी ने यह बात बादल को बताई थी। बादल ने नीलेश को समझाया था, लेकिन इसके बाद भी वह मैसेज कर रहा था।
बादल ने 10 अक्टूबर को समझाइश देने के लिए नीलेश को अलकापुरी में अपने परिचित जितेंद्र जाट के मकान पर बुलाया था। वहां बादल ने बैसबाल से मारपीट कर नीलेश के हाथ पैर रस्सी से बांध दिए थे और चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी थी।
इसके बाद सबूत मिटाने के लिए वह बाजार से लोहे की नई पेटी खरीदकर लाया था और शव प्लास्टिक के दो कट्टों में भरकर जूट के बोरे में बांधकर पोटी में रखकर 17 वर्षीय साथी लड़के के साथ बाइक से करीब 125 किलोमीटर दूर मांडू ले गया था।
मांडू में पहले सात कोठडी महादेव मंदिर के समीप खाई में थैली में भरे खून से सने कपड़े, चाकू और एक डंडा फेंका। इसके बाद कुछ दूरी पर प्रथम गेट आलमगीर दरवाजे के पास करीब 30 फीट खाई में उपर से ही शव से भरी पेटी को फेंक दी थी। उसी दिन वे वहां से लौट आए थे। औद्योगिक क्षेत्र पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर उनकी निशानदेही पर मांडू की अलग-अलग खाई से मृतक का शव, हथियार व अन्य सामान बरामद किया था।
न्यायालय में सीसीटीवी फुटेज की सीडी चलाई गई
अभियोजन विभाग के सहायक मीडिया सेल प्रभारी कृष्णकांत चौहान ने बताया कि पुलिस ने जांच के दौरान रतलाम से धार के हाईवे पर आने वाले टोल प्लाजा चिकलिया (बिलपांक) छोकला, एक पेट्रोल पंप (कानवन) व घोड़ा चौराहा धार से सीसीटीवी फुटेज प्राप्त किए थे। इनमें आरोपित बादल व उसका साथी बाइक पर पेटी ले जाते दिखाई दे रहे थे। सुनवाई के दौरान उक्त फुटेज की सीडी न्यायालय को चलाकर दिखाई गई। साथ ही आरोपित के मोबाइल फोन की सीडीआर व टावर लोकेशन से भी उनकी मांडू तक जाने व वापस आने की पहचान हुई। अभियोजन पक्ष ने 17 गवाहों के बयान कराए। जब्त चाकू में लगे खून की डीएनए रिपोर्ट भी प्रमाणित की गई। बचाव पक्ष ने अनुसंधान के दौरान पुलिस द्वारा की गई त्रुटियों को काफी प्रभावी ढंग से रखने का प्रयास किया, जिसका अभियोजन पक्ष ने समुचित उत्तर दिया गया। नाबालिक लड़के का प्रकरण बाल न्यायालय में विचाराधीन है।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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