Sagar News: सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। चना में हर साल इल्ली का प्रकोप होता था, लेकिन पहली बार गेहूं की फसल भी इल्लियों की चपेट में है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। कृषि विज्ञानी भी इसको लेकर सतर्क हैं। वे किसानों को कीट नियंत्रण के लिए जागरूक कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक अफ्रिका महाद्वीप में दक्षिण भारत में आए फॉल आर्मी वर्म कीट ने सागर जिले में आमद दी है। इससे पहले यह कीट छिंदवाड़ा, बेतूल व सिवनी जिले में गेहूं सहित अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा चुका है। सागर में रहली, मालथौन, केसली व देवरी ब्लॉक में पैर पसार रहा है। कृषि विज्ञानियों का कहना है कि यह कीट मक्का का प्रमुख शत्रु माना जाता है, लेकिन इस बार गेहूं में भी इसका प्रकोप है।
इल्ली लगने के बाद यह कीट तेजी से पत्तियों को काट देता है। इससे बहुत नुकसान होता है। कृषि विज्ञानी डॉ. केएस यादव का कहना है कि यह कीट अफ्रीका से भारत आया है। इसका प्रकोप भारत के कई राज्यों में देखा जा रहा है। यह मुख्य रूप से मक्का को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन इस बार गेहूं में भी इसका अटैक है। डॉ. यादव ने बताया कि किसानों को कीट नियंत्रण के लिए सतर्क रहना चाहिए।
गेहूं की बालियां बड़ी होने पर यह और भी अधिक नुकसान पहुंचाएंगा डॉ. यादव ने बताया कि किसानों को इसके लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसके नियंत्रण के तरीके बताए जा रहे हैं। डॉ. यादव के मुताबिक इस कीट के प्रकोप से बचने के लिए प्रति एकड़ दस ग्राम के हिसाब से इमामेक्टिन वेजोएन्ट दवा का छिड़काव करें। इसके अलावा फ्लूवेंडामाइड 50 ग्राम प्रति एकड़ में छिड़क सकते हैं। रेनेक्सीपायर (कोरामेन) 40 ग्राम प्रति एकड़ में छिड़क सकते हैं।
पिछले साल मक्के पर किया था अटैक
गत वर्ष फॉल आर्मी वर्म का अटैक केवल मक्का पर हुआ था। कृषि वैज्ञानिकों ने पूरे प्रदेश में इस कीट से फसल को सुरक्षित रखने के लिए अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही कृषि विभाग ने भी किसानों को इस कीट के विषय में जानकारी के साथ बचाव की बात को लेकर जागरूक किया किया था।
वैज्ञानिक के मुताबिक फॉल आर्मी वर्म का वैज्ञानिक नाम स्पोडोप्टर्स फ्यूजीपरडा है, जो बहुभक्षी कीट है, जो 80 से अधिक प्रकार की फसलों को नुकसान करता है। मक्का सबसे पसंदीदा फसल है। इसका पतंगा एक रात में करीब 10 किमी चलता है। वहीं मादा अपने जीवनकाल में करीब 1 हजार तक अंडे दे सकती है। इस कीट को लेकर पूरे मध्यप्रदेश में अलर्ट जारी करते हुए खासकर मक्का उपज क्षेत्र के किसानों को मक्का सहित अन्य फसलों को सुरक्षित करने की सलाह दी जा रही है।
Posted By: Nai Dunia News Network
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे