Sagar Crime News : सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। शिक्षक भर्ती के नाम पर बेरोजगारों से लाखों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह को पुलिस ने पकड़ा है। फर्जी एनजीओ के माध्यम से नाम बदलकर उप्र का इस गैंग को सागर पुलिस ने उ्प्र के जंगल डोंगरी जिला गोरखपुर से पकड़कर लाये हैं। आरोपित ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों बेरोजगारों से लाखों रुपये ठगी करके भाग गए थे। पुलिस ने गिरोह के शैलेश कुमार शर्मा और आकाश पासवान को उप्र के जिला डोंगरी जिला गोरखपुर से पकड़ा है। दोनों युवक नाम बदलकर सागर के बहेरिया क्षेत्र में दद्दाधाम में रह रहे थे।
किराए के मकान में चल रहा था एनजीओ
बहेरिया थाना क्षेत्र के दद्दाधाम में किराए के मकान में सीबीके एजुकेशनल एंड वेलफेयर सर्विसेस के नाम से एक एनजीओ संचालित किया जा रहा था। यह एनजीओ ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाने के लिए जन शिक्षकों को भर्ती करता था। एक से पांच वर्ष के बच्चों को पढ़ाने के लिए बनने वाले वालेंटियर टीचर से एनजीओ रजिस्ट्रेशन के नाम पर 950 रुपये और 4 हजार रुपये सुरक्षा निधि जमा करवाता था। इनको सप्ताह में तीन दिन ग्रामीण क्षेत्र के एक बच्चे को घर जाकर पढ़ाना होता था। इसके एवज में उन्हें प्रति माह 900 रुपये वेतन दिया जाता था। सितंबर माह से एनजीओ ने यहां पर काम शुरू किया।
करीब 60 फील्ड मैनेजर नियुक्त किए थे
वालेंटियर टीचर के अलावा एनजीओ ने सेंट्रल मैनेजर और फील्ड मैनेजर को भी भर्ती किया था। करीब 60 फील्ड मैनेजर नियुक्त किए थे, इनका काम अधिक से अधिक वालेंटियर बनाना था। एक वालेंटियर बनाने के एवज में फील्ड मैनेजर को डेढ़ सौ और सेंट्रल मैनेजर को 50 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। सितंबर और अक्टूबर माह तक तो एनजीओ ने वालेंटियर्स को वेतन दिया, लेकिन इसके बाद उन्हें वेतन मिलना बंद हो गया। इसकी शिकायत बहेरिया थाने में की गई। दिसंबर में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने इसकी जांच शुरू की। पुलिस ने दद्दाधाम में खुले आफिस में जाकर देखा तो यहां पर स्थानीय युवक युवतियां मिले, जिन्होंने इस एनजीओ के दस्तावेज, रजिस्ट्रेशन और काम के बारे में पुलिस को बताया। पुलिस ने रजिस्ट्रेशन को चेक किया तो यह फर्जी मिला।
अधिकारियों के नाम फर्जी
बहेरिया थाना प्रभारी दिव्य प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि एनजीओ के अधिकारियों के बारे में पता किया, तो उन्हें राहुल राजपूत और अंकुर विश्वकर्मा नाम के दो अधिकारी मिले, जो सारा काम देख रहे थे। पुलिस ने इनकी जांच की तो पता चला कि इन दोनों के नाम फर्जी हैं। दरअसल गोरखपुर जिले के निवासी यह दोनों फर्जी अधिकारी अपने-अपने नाम बदलकर यहां पर यह गिरोह चला रहे थे।
Posted By: Lalit Katariya
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