सीहोर, नवदुनिया प्रतिनिधि। श्रीराम कथा श्रवण का लाभ प्राप्त करने के लिए श्रद्धा, सत्संग एवं भगवान चरणों में अनुराग होना आवश्यक है। इन गुणों के साथ ही मानव के मन में अहंकार है तो प्रभु कृपा की प्राप्ति असंभव है। जब तक हम पद और प्रतिष्ठा के अंधकार में रहते है तब तक हमें ज्ञान रूपी प्रकाश प्राप्त नहीं होता है। उक्त विचार शहर के तिलक पार्क के समीपस्थ जारी नौ दिवसीय श्रीराम कथा में कथा व्यास महंत हरिराम दास महाराज ने व्यक्त किए। इस मौके पर भगवान शिव और माता पार्वती की झांकी सजाई गई थी और विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। कथा महोत्सव के दौरान आधा दर्जन से अधिक संगठनों ने महंत का आशीर्वाद ग्रहण किया।
महंत श्री हरिराम दास महाराज ने कहा कि अगस्त ऋषि द्वारा भगवान शिव को सुनाई गई रामकथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि श्री रामकथा सुनने के लिए भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी पर आए और आश्रम में पहुंच कर श्री रामकथा का श्रवणपान किया था। उन्होंने रामकथा के श्रवणपान से मिलने वाली उर्जा व कटने वाले कष्टों को भी बताया। कहा कि रामकथा ही वह अचूक बाण है जिससे मानव जीवन में आने वाली सभी कष्टों का दमन किया जा सकता है।
कथा का श्रवण करने में पूरा ध्यान आवश्यक
उन्होंने कहा कि अगस्त ऋषि ने जिस समय भगवान शिव को रामकथा सुनाई उस समय माता पार्वती कथा में शामिल नहीं हुई। वह अन्य किसी कार्य में लग गई। जब कथा समाप्त हुई तो भगवान शिव ने अगस्त ऋषि से कहा कि वे कथा सुनाने के बदले उनसे कुछ मांगे। अगस्त ऋषि ने मांगने से जब इनकार कर दिया तो शिव ने उनसे पुनः अनुरोध किया। इस पर उन्होंने अगस्त ऋषि को वरदान दिया। कहा कि इस कथा का जो भी श्रवणपान करेगा उसे ईश्वर की जरूर कृपा मिलेगी। शिव ही सर्वश्रेष्ठ हैं। उनके अनेक रूप हैं जिसने शिव को समझ लिया उसने समस्त ब्रह्मांड को समझ लिया। रामचरितमानस का पूजन व गुरु जी का आशीर्वाद कई संगठनों ने प्राप्त किया जिसमें की की पूजन कई संगठनों द्वारा की गई मेडिकल एसोसिएशन, सर्व ब्राह्मण समाज, सिद्धपुर दर्जी महिला मंडल, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल आदि कई संगठनों ने व्यासपीठ से आशीर्वाद लिया।
Posted By: Nai Dunia News Network
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