आष्टा। धर्म रक्षति रक्षिता शास्त्र में लिखा है कि यदि धर्म की रक्षा हम करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा और हम धर्म का नाश करेंगे ,तो धर्म हमारा भी विनाश कर देगा। इसलिए हमेशा धर्म के अनुसार व्यक्ति को आचरण करना चाहिए। उक्त भाव हिंदू उत्सव समिति एवं दुर्गा मंदिर सेवा समिति द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर व्यास आसन पर बैठे संत मिट्ठूपुरा सरकार द्वारा व्यक्त किए गए।

इसी संदर्भ में कथा वाचक द्वारा बताया गया कि गुरु गोविंद सिंह ने अपने चार पुत्रों का धर्म के लिएबलिदान कर दिया पर अपना धर्म नहीं छोड़ा गुरु गोविंद सिंह के 2 पुत्र अजीत सिंह और जुझार सिंह तो मुगलों से युद्ध करते हुए शहीद हुए और उनके 2 पुत्र जोरावर सिंह फतेह सिंह जिनकी आयु अभी क्रमशा 7 और 9 वर्ष थी जिनको मुगल बादशाह ने कैद कर लिया और उनसे कहा कि यदि तुम इस्लाम स्वीकार कर लो तो मैं तुम्हें जिंदा छोड़ दूंगा। उन बच्चों को बहुत प्रकार से यातना दी ,परंतु उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा ।अंत में गुरु गोविंद सिंह के दोनों बेटे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को बादशाह ने दीवार में जिंदे चुनवा दिए। बच्चों ने अपने प्राण देकर भी धर्म की रक्षा की ,धर्म नहीं छोड़ा। बच्चों की मृत्यु के पश्चात बहुत सारे लोग गुरुगोविंद सिंह जी के पास शोक प्रकट करने आए कि आपके चारों पुत्र धर्म के लिए बलिदान हो गए,तब गुरु गोविंद सिंह ने कहा कि चार मरे तो क्या हुआ जीवित कई हजार। इसीलिए आज भी गुरु गोविंद सिंह जी का नाम अमर है ।कथा में आगे भगवान श्री कृष्ण के 16108 विवाह के मंगलमय कथा का बड़े विस्तार से वर्णन किया। जिसे सुनकर सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। आज अंतिम दिवस की कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित हुए जिनमें कैलाश सोनी जयश्री, ठाकुर प्रसाद वर्मा, कृपालसिंह मालवीय, शैलेष शर्मा, जीवन राज मालवांचल, मूलचंद नामदेव, रमेश परमार, अशोक पांचाल, महेश पांचाल, कन्हैया गहलोत, मधुसूदन परमार, मुकेश नायक सहित बड़ी संख्या में मातृशक्ति पधारी। सुप्रसिद्ध भजन गायक प्रहलाद प्रजापति, रविंद्र जैन के मधुर भजनों पर पूरा पंडाल भक्ति रस में सराबोर होकर नृत्य करने लगा। आज की महा प्रसादी वितरण का सौभाग्य रमेश परमार अध्यापक को प्राप्त हुआ।

Posted By: Nai Dunia News Network

Mp
Mp
 
google News
google News