सीहोर। जिले के अलग-अलग अस्पतालों में लोग रेबिज के इंजेक्शन लगवाने 70 से ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं। इसमें से अकेले सीहोर जिला अस्पताल में ही औसतन 25 लोग रेबिज का इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं। इन दिनों नगर के अधिकांश वार्र्डों, सड़कों पर आवारा कुत्तों की धमाचौकड़ी से नागरिक परेशान हैं। मार्निंग वाक पर जाने वाले लोगों को सड़क पर आवारा कुत्तों के झुंड के चलते कुत्ते के काटने की आशंका बनी रहती है। लोगों ने नगर पालिका से इस ओर ध्यान देकर कार्रवाई की मांग की है।
शहर के कस्बा क्षेत्र में रहने वाले आमीर खान ने इस बारे में शिकायत की है, लेकिन इसका कोई समाधान अभी तक नहीं निकला। शहर के चौराहों, वार्डों और कालोनियों में कुत्तों के झुंड घूमते रहते हैं जो कई बार लोगों पर हमला कर देते हैं। इन क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की धमाचौकड़ी से लोग भयभीत रहते हैं। आसपास के क्षेत्रों में आवारा कुत्तों के आतंक से लोग खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं। इसके साथ ही शहर के कुछ क्षेत्रों में बंदरों का भी आतंक है। बंदरों का आतंक तो इतना बढ़ गया है कि लोग घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं।
भोपाल की घटना के बाद भी नहीं ली सीख
बागसेवनिया की अंजलि विहार कालोनी में शनिवार शाम सवा चार बजे पांच कुत्तों के झुंड ने सड़क पर गुजर रही तीन साल की गुड्डी बंसल को नोच डाला। बालिका के चेहरे में घाव हुए हैं। उसे इलाज के लिए पहले तो जेपी अस्पताल ले जाया गया। यहां से डाक्टरों ने यह कहते हुए रेफर कर दिया कि जेपी अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन शाम 4 बजे के बाद नहीं लगती। स्वजन उसे लेकर हमीदिया अस्पताल गए। यहां भी प्रारंभिक इलाज के बाद उसकी छुट्टी कर दी गई। हालांकि, बालिका को कहीं भी टांके लगाने की जरूरत नहीं पड़ी है। कुत्तों के हमले की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। भोपाल में चार साल पहले जनवरी में ही पुतलीघर के पास कुत्तों ने दो साल के बच्चे को नोचकर मार डाला था। इसके बाद से लगातार कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन नगर निगम गंभीर नहीं है। कुत्तों की नसबंदी के दावे किए जाते हैं, लेकिन उनकी संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं इस तरह की घटनाएं सीहोर में भी हुई है। जब बच्चों पर और चलती गाड़ी पर कुत्तों ने हमला किया है। इन हमलों में लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस सब के बाद भी नपा ने सबक नहीं लिया और अब तक कोई इंतजाम नहीं किए हैं।
बढ़ रही कुत्तों की संख्या
लोगों ने बताया कि कुत्तों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि लोगों का रास्ते से आना-जाना मुश्किल हो जाता है। अभिभावक शाम को बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि रात को कोई व्यक्ति अकेला पैदल जा रहा हो तो उसे कुत्तों से बचाव करना मुश्किल हो जाता है। पहले शहर में कुत्तों की संख्या कम थी, लेकिन अब काफी बढ़ गई है। कुत्ते झुंड में सड़क किनारे व रास्तों पर बैठे रहते हैं। इससे राहगीरों को उनके पास से गुजरना मुश्किल हो जाता है। जब इन्हें भगाने का प्रयास किया जाता है तो पीछे दौड़ने लगते हैं। यदि समय रहते इनसे छुटकारा नहीं दिलाया गया तो बच्चों व लोगों के साथ घटना घट सकती है।
बंदरों का भी आतंक
शहर के बढ़ियाखेड़ी क्षेत्र में बंदरों का आतंक है। यहां लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। बंदर कई बार यहां लोगों पर हमला कर चुके हैं। साथ ही कई बार वे खाने-पीने का सामन भी ले जाते हैं। जिससे लोगों को परेशानी होती है। इसकी शिकायत भी कई बार लोग कर चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकलता। कई बार यह बंदर यहां से चले जाते हैं। वहीं कई बार उन्हें पकड़वा कर जंगल भी छुड़वाया जा चुका है, लेकिन वो वापस लौट जाते हैं। फिलहाल बंदरों का आतंक कम है, लेकिन फिर भी लोगों के मन में डर है।
बेसहारा मवेशियों को लेकर नपा कार्रवाई करता है। फिलहाल लंबे समय से कोरोना के चलते कार्रवाई नहीं की गई। जल्द कार्रवाई की जाएगी।
संदीप श्रीवास्तव, नपा सीएमओ सीहोर
Posted By: Nai Dunia News Network