आष्टा। साईं कॉलोनी में अपार प्रेम, भाईचारा है, ऐसे भाव सभी में आए। ऐसे स्थान पर ही भगवान का वास होता है। दुख में सुमिरन करे, सुख में सुमिरन करे तो दुख कैसे होय। भजन कीर्तन की महिमा है, बड़े दुख भी राई बराबर होकर निकल जाते है। भगवान श्रीकृष्ण संसार को देते हैं मधुर व दिव्य अनुभूति। भगवान कृष्ण के प्रेम में व्यापकता व पावन स्वरूप है। उनकी बंशी की धुन सुनकर ब्रज की गोपियां दौड़ी चली आती थी। महारास में प्रत्येक गोपी को यह अनुभव होता है, भगवान कृष्ण उनके साथ है। यह प्रेम उनकी सर्व व्यापकता व अपने भक्तों के प्रति समर्पण का प्रमाण है। महारास भगवान कृष्ण की एक ऐसी लीला है जो अद्भुत, अनुपम व अनिर्वचनीय है। वह संसार को मधुर व दिव्य अनुभूति देते हैं। जहां मानव जीवन की सार्थकता व सफलता है। गुरु ज्ञान की ज्योत प्रज्वलित करते है, अपने ज्ञान के जोश को बरकरार रखना है तो, अपने जीवन में संयम और गुरु का सानिध्य प्राप्त करें। मां, गुरु एवं प्रभु के द्बार पर कभी भी खाली हाथ न जाएं। कृष्ण-सुदामा की मित्रता का चित्रण किया। मित्रता कृष्ण-सुदामा जैसी होना चाहिए, आज के दौर में मित्रता केवल स्वार्थ की रह गई है।
उक्त बातें नगर की साईं कालोनी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें अंतिम दिन व्यासपीठ से पंडित गीता प्रसाद शर्मा ने कथा श्रवण कराते हुए कहीं। कथावाचक पंडित गीता प्रसाद शर्मा ने कहा कथा सुनना तभी सार्थक होगा, जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे। वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ तथा अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता। यह धनसंपदा क्षणभंगुर होती है। इसलिए इस जीवन में परोपकार करों। उन्होंने कहा कि अहंकार, गर्व, घृणा और ईर्ष्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। व्यक्ति जीवनभर पद, पैसा, प्रतिष्ठा आदि के पीछे भागता है और उसका संचय करता है। इन्हें पाने के लिए वह तमाम लोगों से भलाई-बुराई मोल लेता है,लेकिन जीवन के समापन पर उसके साथ न पद होता है, न पैसा होता है और न ही प्रतिष्ठा होती है। जबकि केवल धर्म ही मनुष्य के अंतिम वक्त तक साथ रहता है और मनुष्य है कि साथ रहने वाले धर्म से विमुख होता जा रहा है। प्रतिदिन के आयोजन में संगीतमय भजनों के साथ श्रीमद्भागवत के विभिन्ना प्रसंगों पर श्रद्धालुओं ने आनंद विभोर होकर कथा का श्रवण किया।
कथा का समापन पर आरती व प्रसाद वितरण
रविवार को भागवत के अंतिम दिवस पर कथा का समापन हुआ। कथा के समापन पर श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ पर समाजसेवी कैलाश अवधनारायण सोनी जयश्री सहित श्रद्धालुओं ने भेंट के माध्यम से अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा शिव पुराण में कलियुग के पापकर्म से ग्रसित व्यक्ति को मुक्ति के लिए शिव भक्ति का मार्ग सुझाया गया है। कथा के अंतिम दिन काफी संख्या में श्रद्धालु भी पहुंचे। मुख्य यजमान प्रेम कुमार राय मामा, साधना राय, डॉक्टर कुणाल सपना राय ने व्यासपीठ का पूजन कर व्यासपीठ पर विराजमान कथावाचक पंडित गीता प्रसाद शर्मा का अभिनंदन भी किया। समिति के संयोजक राजा पारख ने बताया कि कथा में सभी का सराहनीय सहयोग रहा। इस अवसर पर काफी संख्या में महिलाएं और नगर के प्रमुख अवधनारायण सोनी, गोपालदास राठी, रेंजर श्री नागर, निलेश खंडेलवाल, प्रेम नारायण गोस्वामी आदि उपस्थित थे। पंडित गीता प्रसाद शर्मा के सानिध्य में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का समापन हो गया। पूर्णाहुति प्रसाद वितरण के साथ हुई। आयोजक मामा राय परिवार ने कथावाचक पंडित शर्मा का शाल-श्रीफल व फूलमालाओं से स्वागत किया। कथा का समापन आरती व प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
Posted By: Nai Dunia News Network