Shahdol News : शहडोल (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में पशुधन के उपचार के लिए छोड़े-बड़े कुल 96 पशु चिकित्सालय, औषधालय व कृतिम गर्भाधान केंद्र हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण पशुओं को जरूरत के अनुसार सुविधाएं व उपचार नहीं मिल रहा है। जिले भर में छह लाख से अधिक पशुधन, जिनके उपचार के लिए मात्र 22 डाक्टर हैं। जिला स्तर योजनाओं के संचालन के लिए को कागजी कार्रवाई की जाती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि पशुधन को उपचार की बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं है।
घर पहुंच पशु चिकित्सा सुविधा लक्ष्य विहीन
मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सक व टेक्नीशियन की कमी के कारण पशुधन के इलाज व जांच के लिए पालकों को परेशान होना पड़ रहा है। घर पहुंच पशु चिकित्सा सुविधा शुरू हो गई है, लेकिन कर्मचारियों की कमी है। वाहन चालू कर दिए गए लेकिन डाक्टर या अन्य स्टाफ की कमी बनी हुई है। प्रदेश स्तर से ही बिना तैयारी के योजना शुरू कर दी गई है, जिसका अपेक्षित परिणाम कागजों तक ही सीमित है।
धूल खा रहे अस्पताल व कर्मचारी आवास
जिले के जैतपुर में पशु चिकित्साल व कर्मचारी आवास बने हैं, लेकिन चिकित्सक व कर्मचारी के अभाव में धूल खा रहे हैं। काफी मशक्कत कर बुढ़ार व शहडोल आते हैं। ब्यौहारी के करकी, रेउसा, पोड़ी, चचाई में पशु चिकित्सालय व औषधालय तो बनाए गए हैं, लेकिन वर्षों से चिकित्सक की कमी होने के कारण किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिल रही है।
एडिशनल चार्ज देकर चला रहे हैं काम
विभाग का दावा है कि चिकित्सकों को एडिशनल चार्ज देकर काम चला रहे हैं, लेकिन अधिकांश गांव जनपद मुख्यालय से अधिक दूर होने पर चिकित्सक समय पर नहीं पहुंच पाते हैं। पशु चिकित्सा विभाग के पास 4 विभागीय वाहन हैं लेकिन वाहन चालक न होने के कारण अधिकारियों को फील्ड जाने में परेशान होना पड़ता है।
325 पद खाली, नहीं हो रही भर्ती
पशु चिकित्सा विभाग में वाहन चालक के 6 पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक भी नहीं है। वाहन चालकों के सेवानिवृत्त होने के बाद भर्ती नहीं हुई। ऐसे में अधिकारी खुद वाहन चलाते हैं या फिर किराए का चालक लेकर फील्ड का कार्य करते हैं। जिले में पशु चिकित्सक के 35 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 13 पद खाली और 22 पद भरे हैं, जिनको अतिरिक्त प्रभार देकर कार्य कराया जा रहा है। 160 पद कंंपाउंडर के स्वीकृत जिसमें सिर्फ 72 ही भरे हैं और 88 खाली हैं।अन्य श्रेणी के कर्मचारियों के 450 पदों में सिर्फ 125 पदों पर ही कर्मचारी तैनात हैं। 325 पद अभी भी रिक्त हैं। यहां 6 वाहन चालक के पद स्वीकृत हैं लेकिन वर्तमान में एक भी चालक नहीं है।
कृत्रिम गर्भाधान केंद्र में चिकित्सक नहीं
जिले भर में 23 पशु चिकित्सालय 35 औषधालयों के साथ 38 कृत्रिम गर्भाधान केंंद्र हैं। जैतपुर क्षेत्र की हालत सबसे ज्यादा खराब है। जैतपुर में सर्वसुविधायुक्त चिकित्सालय बना हुआ है लेकिन चिकित्सक व स्टाफ की कमी के कारण यहां पर पशुमालिकों को सेवाएं नहीं मिल पा रही है। बुढ़ार में 7 अस्पताल है जहां एक डाक्टर के भरोसे पूरे ब्लाक को काम देखा जाता है। जिले में 88 पशु चिकित्सक के पद रिक्त पड़े हैं,जिसके कारण सुरक्षित गर्भाधान में समस्या होती है। कृत्रिम गर्भाधान के लिए जिले में 38 एआइ केंद्र बनाए गए हैं लेकिन 15 में ही सहायक पुश चिकित्सा क्षेत्राधिकारी तैनात हैं, बाकी बंद पड़े हैं या आसपास के चिकित्सकों को प्रभार में दे दिया गया है। जिले में 5 लाख 24 हजार गोवंश व 1 लाख 10 हजार भैंसवंश की सेवा में 22 चिकित्सक ही उपलब्ध हैं। इनसे अतिरिक्त प्रभार देकर चिकित्सकीय काम लिया जा रहा है।
बोले अधिकारी
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उप संचालक डा. बीबीएस चौहान बोले- जिले में पशु चिकित्सक सहित कई अन्य पद खाली हैं। जितने डाक्टर व कर्मचारी हैंं, उसी से व्यवस्था चल रही है। थोड़ी दिक्कत तो होती है,लेकिन महत्वपूर्ण काम समय पर होते हैं और पशुओं को उपचार भी मिल रहा है।
Posted By: Dheeraj Bajpaih