Shahdol News : शहडोल (नईदुनिया प्रतिनिधि) । आदिवासी क्षेत्रों में अंधविश्वास के चलते बच्चों के साथ गर्म सलाखों से दागकर इलाज करने की कुप्रथा लगातार बढ़ रही है। जिले के कठौतिया गांव में ढाई महीने की बच्ची को 51 बार गर्म सलाखों से दागने की मौत के बाद शनिवार की देर रात दूसरे मौत हो गई। कठौतिया से लगे गांव सामतपुर में एक और बच्ची को इलाज के नाम पर 24 बार गर्म सलाखों से दाग गया है। कठौतिया तीन किमी दूर स्थित सलामतपुर गांव में तीन महीने की बच्ची को निमोनिया बीमारी से बचाव के लिए दागा गया। हालत बिगड़ने पर मासूम को मेडिकल कालेज शहडोल में भर्ती कराया गया‌। हालत गंभीर होने पर परिजन मेडिकल कालेज से निजी अस्पताल ले गए और शनिवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगा

जानकारी के अनुसार तीन माह की शुभी कोल को सांस लेने में समस्या थी। पहले किसी बिना डिग्री धारी डाक्टर से इलाज कराया लेकिन राहत नहीं मिली। बाद में मेडिकल कालेज लेकर गए। लगातार बीमार होने पर गांव की एक महिला ने गर्म सलाखों से स्वजनों की सहमति से दाग दिया। गांव में स्वास्थ्य सुविधा न मिलने से खैरहा में बिना डिग्रीधारी डाक्टर के पास ले गए थे। वहां पर हालत में सुधार नहीं आया तो बुढ़ार लेकर गए। वहां से मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया था। बालिका को 24 बार गर्म सलाखों से दागने के निशान उसके शरीर में बने थे। मेडिकल कालेज से भी स्वजन उसे किसी निजी अस्पताल में लेकर गए थे जहां शनिवार की देर रात मौत हो गई।

एनसीपीसीआर प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने बताया कि हमें एमपी से शिकायत मिल रही है कि एक बच्चे को इलाज के नाम पर गर्म लोहे की राड से दागा गया। आयोग ऐसी प्रथाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करता है। हम एक नोटिस जारी कर रहे हैं और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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