नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर : देश में दो साल पूरे कर चुका चीता प्रोजेक्ट अब अहम चरण में प्रवेश करने जा रहा है। कूनो नेशनल पार्क में बाड़े में बंद चीते जल्द खुले जंगल में छोड़े जाएंगे। वहीं मंदसौर के गांधीसागर अभयारण्य में और चीते लाए जाने की तैयारी है।
हाल का अनुभव रहा है कि खुले जंगल में जब-जब चीतों को छोड़ा गया था,तब वे कूनो पार्क की सरहद लांघ कर राजस्थान और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती वन प्रभाग तक पहुंच गए थे। जिन्हें ट्रैंकुलाइज कर वापस कूनो लाना पड़ा था। अब और चीतो लाए जाने की तैयारी है।
ऐसे में ये चीते कूनो से लेकर गांधीसागर और इनसे सटे मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के जिलों में स्वछंद विचरण कर सकते हैं। इसके मद्देनजर तीनों राज्यों के 27 वन प्रभागों के बीच चीता कारीडोर विकसित करने की योजना है।
इन वन प्रभागों में चीतों के रहवास व सुविधा के लिए वनाधिकारियों को कूनो में प्रशिक्षण दिया गया है। कूनो में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में तीनों राज्यों के वन अधिकारियों ने मंथन भी किया। वर्तमान में कूनो चीता लैंडस्केप में मध्य प्रदेश के 12, राजस्थान के 13 और उत्तर प्रदेश के 02 वन प्रभागों सहित कुल 27 वन प्रभागों को चिह्नित किया गया है।
परियोजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि भविष्य में चीतों के खुले वनक्षेत्र में होने पर एवं चीतों की संख्या बढ़ने पर उनका मूवमेंट इस प्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, भिंड, गुना, अशोकनगर, नीमच, मंदसौर, राजस्थान के कोटा, बारां, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर, जयपुर, बूंदी, झालावाड़, चित्तौडगढ़ और उत्तर प्रदेश के ललितपुर व झांसी जिले के वन क्षेत्र तक हो सकता है।
सभी जिलो के अधिकारियों को चीता प्रबंधन, प्रशिक्षित अमला, पशु चिकित्सक एवं आवश्यक संसाधनों की आवश्यकता की जानकारी दी गई है। तीनों राज्यों के अमले के बीच सामंजस्य एवं सूचना के आदान-प्रदान की रणनीति पर चर्चा की गई है।
कूनो नेशनल पार्क में इस समय 12 शावक व 12 वयस्क चीते हैं। जिसमें से पांच नर है, संभावना जताई जा रही है कि मंगलवार से पार्क खोले जाने के बाद कभी भी नर चीता का जोड़ा जंगल में छोड़ा जा सकता है। इस संबंध में कार्यशाला में कोई निश्चित तिथि तय नहीं हुई है। अधिकारियों का कहना है कि पहले भी सामान्य प्रक्रिया की तहत एक-एक कर चीता छोड़े गए थे।
कार्यशाला में मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक व्ही एन अम्बाडे एवं अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) भोपाल एल. कृष्णमूर्ति, शिवपुरी एवं ग्वालियर वृत्त के समस्त जिलों के मुख्य वन संरक्षक एवं वनमण्डलाधिकारी, उज्जैन, नीमच एवं मंदसौर के वनमण्डलाधिकारी, गांधीसागर अभ्यारण्य के अधीक्षक शामिल हुए।
राजस्थान से प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक पवन उपाध्याय, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) राजेश गुप्ता, रणथम्बोर टाइगर रिजर्व के उप संचालक एवं कोटा वन्यप्राणी वनमण्डल के वनमण्डलाधिकारी, उत्तरप्रदेश के झांसी एवं फिरोजाबाद जिले के वनमण्डलाधिकारी उपस्थित रहे।
दिल्ली से सदस्य सचिव, एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) गोविंद सागर भारद्वाज एवं भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून से वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कमर कुरैशी अपनी टीम के साथ उपस्थित रहे।