श्योपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा को विभाजित करती चंबल, बनास एवं सीप नदियों के त्रिवेणी संगम के लिए विख्यात पौराणिक महत्व के तीर्थस्थल रामेश्वर धाम पर बरसों से पुल की कमी खल रही है। त्रिवेणी संगम के एक किनारे पर रामेश्वर महादेव और दूसरे किनारे पर परशुराम घाट और भगवान चतुर्भुज नाथ मंदिर का उपा इस स्थित होने से श्रद्धालुओं को अपनी जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करनी पड़ती है। राजस्थान सरकार यहां शीघ्र पुल बनाने की पहल करें तो लाखों श्रद्धालुओं को सहूलियत होगी। रामेश्वर धाम को धार्मिक व पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना को भी पुल बनने से गति मिलेगी। यह मांग श्योपुर कांग्रेसियों ने सवाई माधोपुर रेस्ट हाउस पहुंचकर राजस्थान सरकार समिति के कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष डाक्टर चंद्रभान सिंह को आवेदन देकर की है।
सवाई माधोपुर सर्किट हाउस पर इस मौके पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश सचिव चौधरी गिरिराज सिंह ने बताया कि रामेश्वर धाम जन आस्था का धाम है। पौराणिक मान्यता है कि त्रिवेणी संगम तट पर भगवान परशुराम ने तपस्या की। यह ऋषि-मुनियों की तपोभूमि है। तीन नदियों के मिलन के साथ ही यह संस्कृति का संगम स्थल है। कार्तिक मेले में लाखों श्रद्धालु आते है। महात्मा गांधी सहित देश के नेताओं उपाध्यक्ष को ज्ञापन देते के कांग्रेसी। के अस्थिकलश त्रिवेणी संगम में प्रवाहित किए गए है। हर साल 12 फरवरी को गांधी के अनुयायी जुटते है। नदी पार करने के लिए नाव ही साधन है। भीड़भाड़ के कारण नाव में सफर करना लोगों के लिए खतरे से खाली नहीं है। यहां नाव डूबने की घटनाओं में श्रद्धालुओं को जान तक गंवानी पड़ी है। त्रिवेणी संगम पर पुल बनाने की दिशा में राजस्थान सरकार पहल करें। पुल बनने से श्योपुर और सवाई माधोपुर जिलों के साथ रामेश्वर धाम से आस्था रखने वाले लाखों श्रद्धालुओं को फायदा मिलेगा। इस अवसर पर रामभरत मीणा, जिला युवक कांग्रेस का महामंत्री, गिर्राज मीणा, पूर्व जनपद सदस्य भरत सिंह जाट, हरिओम मीणा उपस्थित रहे।
Posted By: Nai Dunia News Network
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