Kuno National Park: श्योपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। दक्षिण अफ्रीकी देशों से भारत लाकर चीतों को बसाने के प्रोजेक्ट को दो माह में चौथा झटका लगा है। मंगलवार को मादा चीता ज्वाला (सियाया) के दो माह के शावक की मौत हो गई। 24 मार्च को ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इसके पहले नामीबिया से लाई गई साशा, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए उदय व दक्षा की मौत हो चुकी है।
कूनो प्रबंधन के अनुसार मंगलवार को सुबह सात बजे ज्वाला के निगरानी दल ने शावकों के साथ उसे एक जगह बैठा पाया। कुछ समय पश्चात ज्वाला शावकों के साथ चलकर जाने लगी तो तीन शावक तो उसके साथ चले, मगर चौथा शावक अपने स्थान पर ही लेटा रहा। दल ने चौथे शावक का करीब से निरीक्षण किया तो उसे उठने में असमर्थ जमीन पर पड़ा पाया।
दल को देखकर उसने सिर उठाने का प्रयास भी किया। तत्काल पशु चिकित्सक दल को सूचना दी गई। दल ने पहुंचकर शावक को आवश्यक उपचार देने का प्रयास किया, परंतु कुछ ही देर में शावक की मृत्यु हो गई। सीसीएफ वाइल्ड लाइफ उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि शव के परीक्षण में प्रथमदृष्टया मृत्यु का कारण शावक की कमजोरी प्रतीत होता है। वह शुरू से ही चारों शावकों में सबसे कम सक्रिय व सुस्त देखा गया था।
अब कूनो में 17 चीते व तीन शावक
17 सितंबर 2022 को देश में करीब 75 साल बाद चीतों को फिर से बसाने की कवायद शुरू की गई थी। नामीबिया से आठ और साउथ अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। इनमें से तीन चीतों की मौत हो चुकी है, वहीं चार शावकों में से एक की मौत हो गई है। शेष चीतों में छह जंगल में है, बाकी बाड़े में रखे गए हैं।
कब-कब हुई चीतों की मौत
- 27 मार्च को चार साल की साशा चीता की तबीयत खराब हो गई थी, 27 मार्च को उसने दम तोड़ दिया। मौत का कारण किडनी में संक्रमण बताया गया।
- 25 अप्रैल को नर चीता उदय की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। दक्षिण अफ्रीका से लाए गए इस चीते को बाड़े में अचानक लड़खड़ाकर गिरते हुए देखा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में संक्रमण भी बताया गया, हालांकि, अचानक किस वजह से संक्रमण फैला, यह सामने नहीं आ पाया है।
- नौ मई को बाड़े में रह रही मादा चीता दक्षा को बुरी तरह घायल अवस्था में पाया गया। बताया गया कि इसकी मौत बाड़े में छोड़े गए अग्नि और वायु चीते के साथ मेटिंग के दौरान हमले से हुई।
एक तथ्य यह भी - 10 प्रतिशत शावक ही वयस्क हो पाते हैं
सामान्यतः कमजोर चीता शावक अन्य शावकों के मुकाबले कम दूध पी पाता है, जिससे उसके बचने की उम्मीद कम होती जाती है। ऐसे शावक लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाते। विशेषज्ञों के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया सर्वाइवल आफ फिटेस्ट कहलाती है। सामान्यतः अफ्रीकी देशों में चीता शावकों का सर्वाइवल प्रतिशत मात्र 10 प्रतिशत होता है। प्राकृतिक स्थलों में मात्र 10 में से एक चीता शावक वयस्क हो पाता है।
Posted By: Prashant Pandey
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