नई दुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। कैलादेवी के दर्शन करने गए जिन सात लोगों की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हुई है, उनके स्वजन का रो-रो कर बुरा हाल है। पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। स्वजनों का कहना है कि हम तो उनके प्रसाद लेकर आने का इंतजार कर रहे थे, अब उनकी लाश कैसे देख पाएंगे।
गांव में मृतकों के रिश्तेदार व अन्य लोग पहुंच गए हैं। दोपहर 1 बजे तक उनके शव गांव में पहुंचेंगे। इसके बाद दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
भूतकचा निवासी सुरेश रावत का कहना है कि उसकी पत्नी, बेटा और बहन व उनके बच्चे एक साथ सोमवार सुबह गांव से कैलादेवी के दर्शन करने गए थे राजस्थान से उनके साथ उनके रिश्तेदार भी दर्शन करने पहुंचे थे।
दर्शन कर लौटते समय करौली और मंडरायल के बीच उनकी गाड़ी ट्रक से टकरा गई जिसमें सुरेश रावत का पूरा परिवार खत्म हो गया और उसकी बहन और उसके बच्चे भी खत्म हो गए। सिर्फ एक ढाई साल की बच्ची बच्ची है।
अब सुरेश रावत अपने आप को कोस रहा है। उसका कहना है कि उसने गाड़ी किसी को बेच दी थी, लेकिन दी नहीं थी। अगर वह गाड़ी खरीदार को बेच देता तो शायद यह हादसा होने से टल जाता।
गाड़ी का सौदा होने के बाद भी खरीदार को सिर्फ इसलिए नहीं दी थी, क्योंकि उसकी पत्नी विमला कैलादेवी दर्शन करने जाना चाह रही थीं। इसी के चलते सुरेश ने गाड़ी को खरीदार से कहा कि अभी बच्चे कैलादेवी के दर्शन करने जा रहे हैं इसलिए दो दिन बाद गाड़ी दूंगा।
पूरे गांव में मातम है, सुरेश तो व्यथित है ही, परिवार और घर के लोग भी दुखी हैं। गांव के लोग बता रहे हैं कि गांव से सुबह पूरा परिवार हंसी खुशी रवाना हुआ था, दोपहर तक सभी लोग उनके वापस आने का इंतजार कर रहे थे, पर शाम को चार बजे हादसे का पता चला, तो चीख पुकार मच गई।
बताया गया है कि भूतकचा निवासी सुरेश रावत के एक बेटा और एक बेटी है। कैलादेवी के दर्शन करने के लिए उसके बेटा बेटी और पत्नी तीनों लोग गए थे जिनकी सड़क हादसे में मौत हो गई। सुरेश रावत के परिवार में उसके सिवा कोई नहीं बचा है उसका पूरा परिवार खत्म हो गया।