शिवपुरी। नईदुनिया प्रतिनिधि
जड़विहीन हो जाना पेड़ के लिए हितकर नहीं है, ठीक वैसे ही पितृसत्ता को ध्वस्त करने की चमकीली अवधारणा पर समाज को अबलंबित करने की चाह उचित नहीं है। स्त्री का मुक्त होना अपेक्षित नही है बल्कि समाज में लिंग निरपेक्ष सक्षमता को सुस्थापित किया जाना आवश्यक है। यह बात सहायक जीएसटी आयुक्त रक्षा चौबे ने चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन एवं सेवा भारती की 99वी ई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।
कामकाजी महिलाओं की कार्य स्थल पर चुनौती, पेशे में संतुलन औऱ बाल विकास विषय पर केंद्रित इस संगोष्ठी को इंदौर से सामाजिक कार्यकर्ता माला सिंह ठाकुर ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी में 16 राज्यों के सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं फाउंडेशन के सदस्यों ने भाग लिया। सामाजिक कार्यकर्ता माला सिंह ठाकुर ने अपने उदबोधन में बताया कि एक वैश्विक सर्वे में यह सामने आया है कि भारतीय महिलाएं पुरुषों की तुलना में सात घंटे अधिक कार्य करती हैं। महिलाओं को अपने मन मस्तिष्क से तुलनात्मक दृष्टिभाव को तिरोहित करने की आवश्यकता है क्योंकि एक दूसरे से तुलना का यह भाव आत्म उन्नाति के राह में बाधक है। उन्होंने कहा कि सुपर वुमन जैसा कोई कंसेप्ट नहीं होता है और हमें अपने कौशल और समर्पण से अपने कार्य मे सौ फीसदी प्रतिबद्धता से कार्य का प्रयास करना चाहिए।
फाउंडेशन के सचिव डा कृपाशंकर चौबे ने अतिथि वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि देश का समुन्नात बचपन तभी संभव है जब महिलाओं के लिए हर स्तर पर सुगम्य औऱ सुरक्षित वातावरण उपलब्ध हो सके। संगोष्ठी का संचालन डा. अजय खेमरिया ने किया।
Posted By: Nai Dunia News Network
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