Ujjain News: उज्जैन नगर निगम ने लोगों को पानी पिलाने, तीज-त्योहार पर स्नान कराने के लिए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से नर्मदा का पानी लिया, लेकिन उसका बिल नहीं चुकाया। बिल की राशि बढ़कर 321 करोड़ रुपये हो गई है, जिसकी वसूली के लिए प्राधिकरण 100 से ज्यादा बिल और नोटिस भेज चुका है। धर्मनगरी को जल संकट से उबारने और शिप्रा को सदानीरा बनाने के लिए नौ साल पहले बीजेपी सरकार ने नर्मदा को शिप्रा से जोड़ा था। इस संगम पर तब 432 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

142 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा गया

इस योजना के शुभारंभ समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था नर्मदा-शिप्रा के संगम से पूरे मालवा की धरती समृद्ध होगी। नर्मदा का जल लोगों को पेयजल के साथ सिंचाई, औद्योगिक जरूरतों के लिए भी मिलेगा। वर्ष 2019 के बाद पाइपलाइन के माध्यम से 142 मिलियन क्यूबिक मीटर नर्मदा का पानी पर्व स्नान और पेयजल आपूर्ति के लिए शिप्रा नदी में छोड़ा गया है। इस पानी की कीमत 22 रुपये 60 पैसे प्रति घनमीटर के हिसाब से 321 करोड़ रुपये से अधिक है। जिसे वसूलने के लिए हर माह प्राधिकरण बिल भेजा रहा है। बता दें पिछले माह मकर संक्रांति और शनैश्चरी अमावस्या के पर्व स्नान के लिए जनवरी में मंगाए पानी का बिल भी जारी करने की तैयारी है।

निगम ने पीएस को लिखा पत्र

बिल जमा करने की बजाय नगर निगम ने जल संसाधन विभाग, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है कि नर्मदा का पानी तीज-त्योहार पर श्रद्धालुओं को पर्व स्नान कराने के लिए शिप्रा नदी में छुड़वाया गया। कृपा कर नर्मदा के पानी के बिल का भार नगर निगम पर न डाले।

आधे उपभोक्ताओं ने नहीं चुकाया जल कर

उज्जैन नगर निगम से नल कनेक्शन पाए शासकीय और अशासकीय उपभोक्ता भी आनाकानी कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 खत्म होने की कगार पर है। अब तक आधे उपभोक्ताओं ने जल कर नहीं चुकाया है। 50 हजार रुपये से अधिक जलकर वाले बड़े बकायादारों की संख्या 686 हैं। निगम रिपोर्ट के अनुसार सालाना वसूली 12 करोड़ 36 लाख रुपये के मुकाबले अब तक 7 करोड़ 25 लाख रुपये जल कर वसूली हुई है।

महाकाल मंदिर समिति ने लिखा पत्र

इधर, महाकाल मंदिर प्रबंध समिति जल कर से मुक्ति चाहती है। मंदिर का जल कर माफ करने को समिति ने नगर निगम को पत्र भेजा है। पत्र में लिखा है कि मंदिर समिति से जल कर न वसूला जाए। मंदिर को नि:शुल्क पानी मुहैया कराया जाए। रिपोर्ट के अनुसार महाकाल मंदिर के नाम से हर माह 86 हजार रुपये का बिल समिति को भेजा जा रहा है।

Posted By: Nai Dunia News Network

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