Health Tips For Eyes: रायपुर। यदि आपके आंखों के चश्में का नंबर बार-बार बदल रहा हो। तेजी से नजरें कमजोर और धुंधलापन हो। कभी-कभी आंखों में दर्द की शिकायत हो, तो सतर्क रहें। आंखों से जुड़ी इस तरह की शिकायतें काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की है, जिसे अनदेखा करने पर मरीज को आजीवन अंधापन की ओर धकेल सकता है। हेलो डाक्टर कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर मौजूद डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. प्रांजल मिश्रा ने यह बात कही।

डा. प्रांजल ने कहा कि लोग मोतियाबिंद को लेकर तो जागरूक हैं लेकिन काला मोतियाबिंद को लेकर उतनी जागरूकता दिखाई नहीं देती है। यह समस्या इसलिए भी गंभीर हो जाती है क्योंकि काला मोतियाबिंद की वजह से आंखों की रोशनी जाने पर उसे वापस नहीं लाया जा सकता है। आंबेडकर अस्पताल की ओपीडी में हर माह 60 से 70 ऐसे केस आ रहे हैं।

इसके मुख्य कारण अनुवांशिक होने के साथ ही अनियंत्रित शुगर, बीपी, स्टेरायड का अधिक उपयोग करने वाले मरीजों में देखी जाती है। जागरूकता और समय पर इलाज से काला मोतिायाबिंद को रोका जा सकता है। इसलिए आंखों से जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूक हों, समस्या पर चिकित्सकीय उपचार लें। आंबेडकर अस्पताल में आंखों से जुड़ी किसी भी बीमारी का शासकीय योजना के तहत निश्शुल्क जांच व इलाज किया जा रहा है।

बढ़े कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के केस

डा. प्रांजल ने कहा कि बच्चों में स्क्रीन टाइम अधिक होने जैसे कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल में अधिक समय देने की वजह से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की शिकायतें काफी बढ़ गई है। इसमें आंखों में सूजन, जलन, पानी आना, रोशनी कमजोर पड़ना, धुंधला दिखाई देना जैसी अन्य शिकायतें आती है। इसकी वजह से बच्चों को जल्द ही चश्मा लग जाता है और नंबर बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरत पर ही कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल आदि का उपयोग करें, दिन में दो से तीन घंटे अधिकतम उपयोग और 20-20 मिनट में आंखों को आराम दे, स्क्रीन उपयोग के समय ब्लू फिल्टर ग्लास के उपयोग से इस समस्या से बचा जा सकता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी की शिकायतें भी अधिक

डा. प्रांजल ने कहा कि अनियंत्रित शुगर की वजह से डायबिटिक रेटिनोपैथी के केस भी बढ़ रहे हैं। इसमें रेटिना के पीछे की नसों को नुकसान पहुंचता है। नसों में खून आने, आंखों का पानी सूखने लगता है। पहले धुंधलापन फिर धीरे-धीरे दिखाई देना बंद हो जाता है। इसकी वजह से जाने वाली आंखों की रोशनी भी लौटती नहीं है। इससे बचाव के लिए शुगर नियंत्रित कर रखना चाहिए। शुगर मरीजों को पांच वर्ष के बाद नियमित आंखों की जांच करानी चाहिए।

पाठकों के सवाल चिकित्सक के जवाब

सवाल : दाएं आंख में बार-बार आंसू हाते हैं। दर्द की शिकायत है। रोशनी भी कम हो रही है।- दानेश्वर तिवारी, अहिवारा

जवाब : शुगर, बीपी बढ़े होने आंख के पर्दा पर असर होने की वजह से तरह की समस्या आ सकती है। वहीं काला मोतियाबिंद की भी आशंका है। ऐसा हुआ तो जो रोशनी चली गई उसे वापस लाना मुश्किल होता है। आपको जल्द से जल्द आंखों की जांच कराना चाहिए।

सवाल : आंखों में धूल, मिट्टी पड़ने से बार-बार इंफेक्शन हो रहे हैं। -उमेश निषाद, धमतरी

जवाब : इसकी वजह से समस्या आती है। जब भी आप बाहर निकलें, चश्मा लगाकर निकलें। बाहर से आने पर ठंडे पानी से आंख धो लें।

सवाल : मुझे धुंधला नजर अाने लगा है। - रामकुमार, भिलाई

जवाब : उम्र बढ़ने की वजह से इस तरह की समस्या आती है। अपने चश्में की जांच कराएं। नंबर बढ़ा हो। इसके साथ ही बीपी, शुगर व आंखों की भी जांच करा लें।

सवाल : आंखों में जलन और आंसू आ रहे हैं। शंकर साहू, चरामा

जवाब : गर्मी में धूल, मिट्टी पड़ने से एलर्जी की वजह से इस तरह की समस्या आ रही है। बाहर जाएं तो चश्मा लगाकर निकलें। आंखों को ठंडे पानी से धाेएं। बर्फ से सिकाई करें। राहत मिलेगी।

सवाल : मेरे 15 वर्षीय भांजे का एक आंख -5 और एक आंख शून्य नजर का चश्मा लगा है। - अजीत जैन, राजनांदगांव

जवाब : मायोपिया की शिकायत है। अभी चश्मे के पावर की मानिटरिंग करनी होगी। 20 से 22 वर्ष बाद पावर स्टेबल हो जाता है। उस दौरान लेंस, लेजर जैसी पद्धति से चश्मा उतारने की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

सवाल : मेरी उम्र 36 वर्ष है। मोतियाबिंद की समस्या बता रहे हैं। आंख में इंफेक्शन भी बार-बार हो रहा है। - विश्वेस कुमार, गुढ़ियारी, रायपुर

जवाब : इस उम्र में मोतियाबिंद बहुत रेयर ही होता है। यदि मोतियाबिंद की समस्या आ रही है तो इसका एक पक्ष हम अनुवांशिक भी मान सकते हैं। लंबे समय से स्टेरायड वाली दवा का इस्तेमाल करने से इसका बुरा असर आंखों पर पड़ता है। इसकी वजह से भी मोतियाबिंद होता है। अस्पताल आइए एक बार जांच करना होगा। फिर इलाज शुरू करेंगे।

सवाल : आंख लाल हो जाता है। - ओंकार साहू, कुरुद

जवाब : स्क्रीन टाइम अधिक होने की वजह से समस्या आ रही है। इसकी वजह से आपके आंखों का पानी भी सूख रहा है। लैपटाप कर काम करते हैं तो आंखों को 20-20 मिनट का आराम दें। आई ड्राप का उपयोग कुछ दिनों तक करें। राहत मिलेगी।

सवाल : एक महीने से आंखों के पलकों के नीचे पिंपल हो रहे हैं। - अंजलि वर्मा, रायपुर

जवाब : सामान्य भाषा में समझें तो आंखों के इस हिस्से में मोटा पसीना निकलने वाली नलियां ब्लाक होने की वजह से इस तरह की परेशानी आती है। यह समस्या ज्यादा बड़ी नहीं है। इसलिए परेशान ना होइए। गर्म पानी से सिकाई करें। आइस मसाज करें। ठीक हो जाएगा।

सवाल : मुझे दूर का दिखाई नहीं दे रहा है। - रिंकी ताम्रकार, दुर्ग

जवाब : आप आंखों की जांच कराइए, जरूरत पड़ी तो चश्मा लगाना पड़ेगा।

सवाल : आंखों में खुजली व दर्द भी हो रहा है। - शिव कुमार यादव, बालोद

जवाब : यह एलर्जी की समस्या है। आंखों में धूल-मिट्टी पड़ने से बचाइए। बाहर से आते हैं तो ठंडे पानी से आंखों को धोएं। गाड़ी चलाते समय चश्मा पहनें।

सवाल : दो साल से चश्मा लगा है। पावर बढ़ते जा रहा है। - वैष्णवी सोनकर, भाटागांव

जवाब: उम्र बढ़ने की वजह से आंखें कमजोर होने लगती है। इसलिए समय-समय पर पावर बढ़ता है। आंखों की जांच करा लें।

Posted By: Ashish Kumar Gupta

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