Glaucoma: ग्लूकोमा यानी कालापानी ऐसी बीमारी है जो धीरे धीरे हमारी आंखों की नस को सुखाकर हमारी आँखों की रौशनी हमेशा के लिए छीन लेती है। अंततः इलाज न किए जाने पर स्थायी अंधापन की ओर ले जाती है और इसलिए इस बीमारी को द्रष्टि चोर भी कहा जाता है। ऑप्टिक तंत्रिका, हमारी आँखों की नस है जो आँखों और हमारे दिमाग को जोड़ने वाली कड़ी है और हमारी दृष्टि की जानकारी को मष्तिस्क तक लेजाने का कार्य करती है । ग्लूकोमा में, धीरे-धीरे और हमेशा के लिए ये नस क्षतिग्रस्त हो जाती है और एक दिन हमारी आँखों की रौशनी हमेशा के लिए चली जाती है।

ग्लूकोमा दुनिया में स्थायी या अपरिवर्तनीय अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक है। इसलिए, हर साल ग्लूकोमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के इरादे से विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जाता है। इस साल , वैश्विक ग्लूकोमा सप्ताह 12 मार्च से 18 मार्च 2023 तक दुनिया भर में मनाया जायेगा। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल के अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर महावीर दत्तानी-

देश में ग्लूकोमा से प्रभावित आबादी

देश की आबादी में कितने लोगो की आँखे ग्लूकोमा से प्रभावित है ये जानने के लिए किये गए कुछ अध्ययन में पाया गया की केवल 10 % ही मरीजों को अपनी बीमारी के बारे मैं जानकारी थी. बाकि 90 प्रतिशत में तो अध्ययन के दौरान पहली बार ग्लूकोमा का निदान हुआ। 1990 में अध्ययन पर आधारित एक अनुमान के अनुसार, भारत में 1.2 करोड़ से अधिक भारतीय प्रभावित होने की संभावना है। ग्लूकोमा का मुख्य कारण ज्यादातर इंट्राओकुलर दबाव या आईओपी (IOP) में वृद्धि होता है, जिसे आमतौर पर आंखों के प्रेशर के रूप में जाना जाता है।

ग्लूकोमा का इलाज

आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल का एक सिद्धांत कहता है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है लेकिन ग्लूकोमा के मामले में, आप ना ही इसको आने से रोक सकते हो और नहीं इसको पूरी तरीके से ख़तम कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि, ग्लूकोमा को कभी ठीक नहीं किया जा सकता है। इसे केवल दवा लेजर या सर्जरी के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। कई लोगों की धारणा है कि ग्लूकोमा सर्जरी या लेजर के बाद खत्म हो जाता है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है यह ट्रीटमेंट के बाद भी वापस उभरकर आ सकता है जिसके लिए डॉक्टर से संपर्क में रहना ही उचित होता है।

इसकी रोकथाम के लिए शीघ्र उपचार कराना आवश्यक है। ग्लूकोमा जैसी आशंका होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर उचित इलाज लें जिसके लिए आप ऐसे हास्पिटल को चुनें जिसमें फुल टाईम स्पेशिलिटी सिस्टम की सुविधा हो ताकि आप किसी बड़ी परेशानी से बच सकें।

एक बार जल्दी निदान होने के बाद, ज्यादातर मरीजों में ग्लूकोमा को दवाओं की नई पीढ़ी, या कुछ मिनट लेजर प्रक्रिया के साथ आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है जो आँखों का प्रेशर को कंट्रोल में अत्यधिक प्रभावी हैं। ग्लूकोमा सर्जरी उन मरीजों मैं की जाती है जिनमे बेहतर दवाइयों के बावजूद ग्लूकोमा नियंत्रित नहीं हो रहा या उन मरीजों में जो समय पर हुए सही तरीके से दवाई नहीं दाल पा रहे है। ग्लूकोमा के इलाज में नयी माइक्रो ग्लूकोमा सर्जरी (एमआईजीएस) आशाजनक परिणामों के साथ लोकप्रिय हो रही है। इसके अलावाअब होम केयर टोनोमीटर उपलब्ध हैं ताकि रोगियों को घर पर अपने दबाव को ट्रैक किया जा सके।

हम नियमित रूप से ऐसे रोगियों से मिलते हैं, जो कई सालो से ग्लूकोमा से पीड़ित है लेकिन उनके परिजनो ने कभी भी अपनी आंखों की जांच नहीं कराई है। हम ऐसे रोगियों से मिलते हैं जो नियमित रूप से ग्लूकोमा आईड्रॉप डालते हैं या ग्लूकोमा सर्जरी कर चुके हैं लेकिन फिर भी ग्लूकोमा से आंख खो चुके हैं। नियमित उपचार के बावजूद लगभग 10% रोगी ग्लूकोमा के लिए आंखों की रोशनी खो देते हैं।

ग्लूकोमा के बेहतर नियंत्रण के लिए ग्लूकोमा रोगी को कुछ सावधानिया बरतनी चाहिए। रोगी को ग्लूकोमा ड्रॉप्स के बताये गए समय का सख्ती से पालन करना चाहिए। रोगियों को नियमित रूप से दिन के अलग-अलग समय पर अपनी आंखों के दबाव की जांच करानी चाहिए और नियमित रूप से पेरीमेट्री और ओसीटी जैसे ग्लूकोमा परीक्षण के लिए भी जाना चाहिए ताकि हम ग्लूकोमा की प्रगति की निगरानी कर सकें।

लेजर या ग्लूकोमा सर्जरी होने पर भी नियमित परीक्षण महत्वपूर्ण है। किसी भी रोगी को ग्लूकोमा का निदान किया गया है, रिश्तेदारों को ग्लूकोमा के बारे में सूचित करना चाहिए और आंखों के विशेषज्ञ द्वारा आंखों की जांच करवानी चाहिए। दवाओं के अलावा, आँख की नस को प्रतिकूल कारकों से बचाने के लिए ध्यान, तनाव नियंत्रण, कैफीन का सेवन कम करने आदि जैसी जीवनशैली में बदलाव करने की भी सिफारिश की जाती है। कुछ विटामिन और पोषण संबंधी घटकों को ग्लूकोमा में फायदेमंद दिखाया गया है और हमारी नस को मजबूत करने में मदद करते हैं।

ग्लूकोमा प्रबंधन एक लम्बा युद्ध है जिसे रोगी को अपनी दृष्टि बचाने के लिए इस बड़ी समस्या से लड़ना पड़ता है। दीर्घकालिक परिणामों के लिए ग्लूकोमा से निपटने के लिए मरीज शिक्षा एवं जागरूकता की आवश्यकता है। संस्थानों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ जागरूक मरीज और लोगो की सक्रिय साझेदारी ग्लूकोमा द्वारा होने वाले अंधापन के बोझ को रोकने का ब्रह्मास्त्र साबित हो सकता है।

Posted By: Arvind Dubey

मैगजीन
मैगजीन
 
google News
google News