Gwalior Health News: ग्वालियर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलाजी विभाग को 40 लाख रुपये कीमत की दो मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। एनसीवी (नर्व कंडक्शन वेलोसिटी) मशीन जो नसों की जांच करती है और ईईजी मशीन से मस्तिष्क के सामान्य और असमान्य स्थिति का पता लगाया जाता है। इन मशीनों का इंस्टोलेशन किया जा रहा है। सोमवार से इन मशीनों की मदद से मरीजों को उपचार देना शुरू कर दिया जाएगा। न्यूरोलाजिस्ट डा़ दिनेश उदैनिया का कहना है कि एनसीवी मशीन खराब हो चुकी थी इसलिए नई मशीन मंगवाई गई है और ईईजी मशीन पहली बार आई है, जो मरीजों के उपचार में सहयोग देगी। मशीन से होती है नर्व की जांच एनसीवी टेस्ट नसों में संवेगों की गति की जांच करता है। नसों के संवेगों की गति के आधार पर यह पता लगाया जाता है कि नसों में कितनी क्षति हुई है। नसें लंबे रेशे (फाइबर) की तरह होती हैं जो पूरे शरीर में फैली रहती हैं। यह मस्तिष्क से जानकारी को पूरे शरीर तक पहुंचाती हैं। शरीर के ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए यह जरूरी है कि नसें ठीक तरह कार्य करें ताकि जो भी जानकारी शरीर में पहुंचाई जाए वो पूरी तरह सही हो। यदि नसों में किसी प्रकार की क्षति होती है तो उससे उनकी जानकारी पहुंचाने की गति प्रभावित हो जाती है। कुछ विकारों के कारण नसों की कार्य प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है जिससे नसों के संदेश पहुंचाने कंडक्शन की गति में भी बदलाव आ जाता है।
इस तरह के लक्षण होने पर कराई जाती है जांच
पैरों में झुनझुनी महसूस होना या पैरों में कमजोरी होना, टांगों के निचले भाग या पैर की मांसपेशियों में कमजोरी होना, अंगुलियों में दर्द या सुन्न पड़ना, तेज दर्द, पैरों से लेकर कूल्हों तक झुनझुनी या सुन्न होने जैसी संवेदना तेज दर्द, गर्दन से लेकर कन्धों तक झुनझुनी या सुन्न होने जैसी संवेदना, शरीर के किसी और भाग में कमजोरी, दर्द, झुनझुनी महसूस होना या सुन्न पड़ जाना आदि लक्षण होने पर जांच कराई जाती है।
ईईजी टेस्ट क्या होता है
इलेक्ट्रोइन्सेफलोग्राम टेस्ट की सहायता से मस्तिष्क की सामान्य और असामान्य स्थिति का पता चलता है। वर्तमान समय में इस मशीन का विशेष महत्व है। इस तकनीक में पतले तारों की छोटी डिस्क, जिनको इलेक्ट्रोड भी कहते हैं। इसको मस्तिष्क के हर भाग पर लगाया जाता है। जिससे यह पता चलता है कि मस्तिष्क किस तरह से काम कर रहा है।
इस तरह करते हैं जांच
नसों के द्वारा भेजी जाने वाली जानकारी विद्युत संवेगों से संबंधित होती है, इसलिए इनकी गति का पता लगाने लिए एक विशेष विद्युत उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे इलेक्ट्रोड कहा जाता है। ये इलेक्ट्रोड्स त्वचा पर लगाए जाते हैं, जिससे गति का पता लगता है। एक इलेक्ट्रोड का प्रयोग नसों को उत्तेजित करने के लिए और दूसरे इलेक्ट्रोड का उपयोग कंडक्शन की जांच करने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट बहुत ही सुरक्षित है और आमतौर पर इसके दौरान कोई भी तकलीफ नहीं होती। यह आमतौर पर इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट के बाद या पहले किया जाता है।
न्यूरोलाजी विभाग में दो नई मशीनें आई हैं, जिनकी कीमत 40 लाख रुपये होगी। इससे न्यूरोलाजी से संबंधित बीमारी का उपचार दिया जा सकेगा।
डा अक्षय निगम, डीन गजराराजा मेडिकल कालेज
Posted By: anil tomar
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