शोधकर्ताओं का मानना है कि स्कूल में अवसाद के लक्षणों की जांच से उसकी पहचान व इलाज की शुरुआत में मदद मिल सकती है। पेन स्टेट की दीपा शेखर के अनुसार, जिन छात्रों ने स्कूल आधारित डिप्रेशन स्क्रीनिंग में भाग लिया उनके इलाज शुरू होने की संभावना स्क्रीनिंग में भाग न लेने वाले साथियों के मुकाबले दोगुनी रही। प्रधान शोधकर्ता दीपा ने कहा, "हमारा अध्ययन ऐसे समय में प्रकाशित हुआ है, जब बड़ी संख्या में किशोर अवसाद के लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "महामारी के दौरान छात्रों में अवसाद बढ़ने की चिंताएं व्यापक हो चुकी हैं। आत्महत्या अब किशोरों की मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन चुकी है, जो अक्सर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी होती है।" इस शोध का प्रकाशन जामा नेटवर्क ओपन नामक पत्रिका में किया गया है।
ऐसे किया गया यह अध्ययन
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में अमेरिका के पेनसिल्वेनिया के सरकारी हाई स्कूलों के नौवीं से बारहवीं कक्षा के 12,000 से अधिक छात्रों को शामिल किया। प्रत्येक स्कूल की ऊंची कक्षाओं में पढ़ने वाले कम से कम दो छात्रों को तय प्रश्नावली दी गई और उनसे जवाब मांगे गए। बाकी कक्षाओं के विद्यार्थी सामान्य तरीके से स्कूल में पढ़ाई करते रहे। उन्हें जरूरत पड़ने पर पेनसिल्वेनिया के स्टूडेंट असिस्टेंट प्रोग्राम की मदद दी गई। इस दौरान जिन छात्रों का व्यवहार असामान्य रहा, उन्हें चिन्हित किया गया। अध्ययन के दौरान महिलाओं में भी गहरे अवसाद के निशान मिले। कुल मिलाकर जिन छात्रों की स्कूल में जांच की गई, उनमें अवसाद की पहचान और जल्दी इलाज शुरू होने की संभावना दोगुनी रही।

Posted By: Navodit Saktawat
- #Depression
- #treatment of depression
- #what is dripation
- #how to fight depression
- #why does depression occur
- #symptoms of depression
- #information about depression
- #Sushant Singh Rajput
- #Sushant
- #अवसाद
- #अवसाद के कारण
- #डिप्रेशन
- #डिप्रेशन का मरीज
- #Depression patient
- #World Mental Health Day 2020
- #World Mental Health Day
- #SpecialStory
- #Mental Health Day
- #Mental Health
- #Schizophrenia
- #abnormal behavior
- #मानसिक रोगी
- #मानसिक स्वास्थय
- #Mansik rog
- #mansik rogi
- #mental illness
- #mental illness and disorder