
डिजिटल डेस्क। केंद्र सरकार ने मंगलवार को आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission Update) के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके बाद अब केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों के वेतन-भुगतान (Govt Employees pensioners salary Hike) ढांचे की समीक्षा करना है।आज़ादी के बाद 1947 से अब तक केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के वेतन ढांचे की समीक्षा और नए सैलरी पैटर्न की सिफारिशों के लिए कई वेतन आयोग गठित किए हैं। बदलते आर्थिक हालात और प्रशासनिक ज़रूरतों को देखते हुए हर आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन संरचना तय करने में अहम योगदान दिया।
पहला वेतन आयोग (1946-1947)
जनवरी 1946 में श्रीनिवास वरदाचारी की अध्यक्षता में पहला वेतन आयोग गठित हुआ और मई 1947 में इसने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहतर सैलरी फ्रेमवर्क तैयार करना था। आयोग ने ‘लिविंग वेज’ की अवधारणा पेश की, यानी इतना न्यूनतम वेतन जिससे कर्मचारी और उसका परिवार सम्मानजनक जीवन जी सके। इस आयोग ने 55 रुपये मासिक न्यूनतम और 2000 रुपये अधिकतम वेतन का सुझाव दिया।
दूसरा वेतन आयोग (1957-1959)
अगस्त 1957 में जगन्नाथ दास की अध्यक्षता में दूसरा वेतन आयोग गठित किया गया। दो साल बाद सौंपी गई रिपोर्ट में न्यूनतम वेतन 80 रुपये प्रतिमाह तय करने की सिफारिश की गई।
तीसरा वेतन आयोग (1970-1973)
रघुबीर दयाल की अध्यक्षता वाले तीसरे वेतन आयोग ने सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच वेतन असमानताओं को दूर करने पर ज़ोर दिया। आयोग ने पे स्ट्रक्चर को संतुलित करने की दिशा में अहम कदम उठाए।
चौथा वेतन आयोग (1983-1986)
जून 1983 में पीएन सिंघल की अध्यक्षता में गठित चौथे वेतन आयोग ने चार सालों में तीन चरणों में अपनी सिफारिशें दीं। इसने न्यूनतम वेतन 750 रुपये प्रति माह करने का प्रस्ताव रखा और परफॉर्मेंस आधारित पे स्ट्रक्चर की शुरुआत की।
पांचवां वेतन आयोग (1994-1997)
9 अप्रैल 1994 को गठित पांचवें वेतन आयोग के चेयरमैन जस्टिस एस. रत्नावेल पांडियन थे। आयोग ने कर्मचारियों की संख्या घटाने और पे स्केल कम करने की सिफारिश की। साथ ही सरकारी कार्यालयों के आधुनिकीकरण पर भी ज़ोर दिया।
छठा वेतन आयोग (2006-2008)
अक्टूबर 2006 में जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में बना छठा वेतन आयोग मार्च 2008 में रिपोर्ट लेकर आया। इसमें रनिंग पे बैंड और ग्रेड पे की अवधारणा पेश की गई और परफॉर्मेंस आधारित प्रोत्साहन पर बल दिया गया।
सातवां वेतन आयोग (2016)
सातवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ। इस आयोग ने वेतन, भत्तों और पेंशन में कुल 23.55% की बढ़ोतरी की सिफारिश की। इसमें न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये मासिक और फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया गया।