
डिजिटल डेस्क: केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ी राहत देते हुए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) की संदर्भ शर्तों (TOR) को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से लाखों सरकारी कर्मचारियों के वेतन, पेंशन (Salary Increament) और भत्तों (DA Hike) में संशोधन का रास्ता खुल गया है। अब आयोग औपचारिक रूप से अपना काम शुरू करेगा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा यह फैसला मंगलवार को लिया गया। सरकार ने घोषणा की कि आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू की जा सकती हैं, जो कि पिछले दस वर्षों के वेतन पुनरीक्षण चक्र के अनुरूप है। इस आयोग से 50 लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारी और 70 लाख से अधिक पेंशनभोगी सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे।
आयोग का मुख्य उद्देश्य मौजूदा वेतन संरचना की समीक्षा करना और उसे आर्थिक वास्तविकताओं से जोड़ना है। यह आयोग न केवल कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की जांच करेगा बल्कि पेंशन व्यवस्था, सेवा शर्तों, और कामकाजी स्थितियों का भी गहराई से मूल्यांकन करेगा। इसके अलावा आयोग सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के वेतनमानों की तुलना भी करेगा ताकि सरकारी कर्मचारियों के लिए अधिक यथार्थपरक सिफारिशें दी जा सकें।
संदर्भ की शर्तें (Terms of Reference) आयोग के कार्यक्षेत्र को परिभाषित करती हैं यानी यह आयोग किन विषयों की जांच करेगा, क्या मूल्यांकन करेगा, और किस आधार पर सिफारिशें प्रस्तुत करेगा। यही TOR आयोग के लिए “रूलबुक” की तरह काम करेगी।

8वें वेतन आयोग को एक अस्थायी निकाय के रूप में गठित किया गया है। इसके अध्यक्ष के रूप में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को नियुक्त किया गया है। सरकार ने आयोग को 18 महीनों की समय-सीमा दी है ताकि यह अपनी रिपोर्ट तैयार कर सके। आवश्यकता पड़ने पर आयोग अंतरिम रिपोर्ट भी सौंप सकता है।
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें निम्नलिखित वर्गों के लिए लागू होंगी:
हालांकि राज्य सरकारों पर इसका सीधा प्रभाव नहीं होगा, लेकिन परंपरागत रूप से अधिकांश राज्य सरकारें कुछ संशोधनों के साथ केंद्रीय सिफारिशों को अपनाती हैं। इसलिए आने वाले वर्षों में राज्य कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल सकता है।

सरकार के अनुसार, आयोग की सिफारिशें जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं। यदि प्रक्रिया समय पर पूरी हुई, तो कर्मचारियों को उस तारीख से संशोधित वेतन का लाभ मिलेगा। देरी की स्थिति में भी बढ़े हुए वेतन की राशि एरियर (Arrears) के रूप में दी जाएगी।
हर वेतन आयोग में एक महत्वपूर्ण भूमिका फिटमेंट फैक्टर की होती है। यही गुणक यह तय करता है कि कर्मचारियों का मूल वेतन कितना बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57x रखा गया था। इसका मतलब था कि अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 20,000 रुपये थी, तो नई सैलरी 20,000 × 2.57 = 51,400 रुपये हो गई।
अब कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि 8वां वेतन आयोग इससे अधिक फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश करेगा, ताकि उनकी आय बढ़ती महंगाई के अनुरूप हो सके। हालांकि, आयोग को यह भी ध्यान रखना होगा कि सरकारी वित्त पर इसका अत्यधिक बोझ न पड़े।
8वां वेतन आयोग पेंशन में भी बदलाव की सिफारिश करेगा। पेंशन की गणना नए वेतन मैट्रिक्स के आधार पर की जाएगी, जिससे पेंशनभोगियों की मासिक राशि में वृद्धि संभव है। साथ ही आयोग यह भी देखेगा कि पेंशन पर बढ़ते व्यय का सरकारी वित्त पर क्या असर पड़ता है।
वेतन संशोधन केंद्रीय अधिसूचना के माध्यम से स्वतः लागू किया जाता है। इसके लिए कर्मचारियों को किसी प्रकार का व्यक्तिगत आवेदन देने की आवश्यकता नहीं होगी। जैसे ही आयोग अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा और कैबिनेट स्वीकृति देगी, नए वेतन स्वतः लागू होंगे।
लगातार बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की लागत के बीच, यह निर्णय लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए राहत की खबर है। वेतन आयोग से कर्मचारियों की उम्मीदें हैं कि उन्हें बेहतर वेतन, पारदर्शी संरचना और जीवन स्तर में सुधार का लाभ मिलेगा।
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आठवां वेतन आयोग सरकार और कर्मचारियों, दोनों के लिए एक संतुलन का बिंदु साबित हो सकता है। जहां कर्मचारी कल्याण और आर्थिक विवेक दोनों एक साथ चलें। आने वाले महीनों में आयोग की सिफारिशें सरकारी तंत्र में बड़े बदलाव का संकेत दे सकती हैं।