नई दिल्ली। इसरो को चंद्रयान के मामले में बड़ी कामयाबी मिली है। विक्रम का पता चल गया है और ऑर्बिटर ने इसकी इमेज भेजी है। हालांकि, अभी तक विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पाया है, लेकिन वह किस लोकेशन पर है, उसकी पक्की जगह का पता चल गया है। ऑर्बिटर से अलग होने के बाद चंद्रमा की सतह पर उतरने के समय महज 2.1 किमी की दूरी पर विक्रम लैंडर से इसरो का संपर्क टूट गया था।
ऑर्बिटर ने ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरे (OHRC) से विक्रम लैंडर की तस्वीर इसरो को भेजी है। इसरो चीफ के सिवन ने ट्वीट किया है कि चंद्रमा की सतह पर हमें विक्रम लैंडर का पता चल गया है और ऑर्बिटर ने इसकी थर्मल इमेज भेजी है। हालांकि, लैंडर से अभी तक संपर्क नहीं हो सका है और हम उससे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे जल्द ही संपर्क स्थापित होगा।
बताते चलें कि विक्रम से संपर्क टूटने के बाद से ही वैज्ञानिकों की टीम लगातार डाटा का विश्लेषण कर रही थी और लैंडर से संपर्क करने की कोशिश कर रही थी। इसरो ने पहले ही कह दिया था कि यह मिशन अभी खत्म नहीं हुआ है और लैंडर से संपर्क साधने की लगातार कोशिश हो रही है। इस काम में अगले 14 दिन बहुत अहम हैं और इस बीच हम लैंडर से संपर्क फिर से हासिल कर सकते हैं। इसरो को पूरी उम्मीद थी कि वह विक्रम से जल्द ही संपर्क करने में सक्षम होंगे।
Indian Space Research Organisation (ISRO) Chief, K Sivan to ANI:We've found the location of #VikramLander on lunar surface&orbiter has clicked a thermal image of Lander. But there is no communication yet. We are trying to have contact. It will be communicated soon. #Chandrayaan2 pic.twitter.com/1MbIL0VQCo
— ANI (@ANI) September 8, 2019
इससे पहले चंद्रयान-2 मिशन पर इसरो ने बयान जारी किया कि हर चरण के लिए सफलता का मानक तय था। अभी तक 90 से 95 फीसदी उद्देश्यों को पूरा किया जा चुका है और यह चांद से जुड़ी जानकारी हासिल करने में मदद करेगा। जिसे असफलता माना जा रहा था, वह तभी तक थी जब तक विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं होता या उसका पता नहीं चलता। मगर, लैंडर की थर्मल इमेज मिलने के बाद वैज्ञानिकों की उम्मीद एक बार फिर से जाग गई है।
विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के बाद इसरो के मिशन कंट्रोल ने मैड्रिड में नासा के डीप स्पेस नेटवर्क सेंटर और मॉरीशस में इंडियन स्टेशन से विक्रम के लिंक्स की तलाश की, लेकिन तब कोई जानकारी नहीं मिली थी। इस बीच ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज भेजी है। इसरो डाटा के विश्लेषण के जरिये इस गडबड़ी की वजह तलाशने और विक्रम से संपर्क करने के लिए लगातार वैज्ञानिकों की टीम को काम पर लगा रखा था।
ऑर्बिटर अपना काम बखूबी कर रहा है और यह इसरो को इमेज व डाटा भेज रहा है। अच्छी बात यह है कि पूर्व निर्धारित एक साल के अभियान की बजाय अब यह सात साल तक काम करेगा। इसरो के वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि के साथ ही अंतरिक्ष अभियान के मामले में भारत का परचम पूरी दुनिया में लहरा रहा है।
Posted By: Shashank Shekhar Bajpai
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