
डिजिटल डेस्क। पश्चिमी विक्षोभ के चलते बादलों से घिरे आसमान के बीच मंगलवार को दिल्ली सरकार ने बुराड़ी इलाके के पास उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) के दो ट्रायल किए। दोनों परीक्षणों के दौरान आठ-आठ फ्लेयर्स के जरिए सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड का मिश्रण बादलों में छोड़ा गया। हालांकि राजधानी में एक बार भी बारिश नहीं हुई, यहां तक कि उन क्षेत्रों में भी नहीं जो विमान की उड़ान के मार्ग में आते थे।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इन प्रयासों को नमी के अलग-अलग स्तरों पर वर्षा की संभावनाओं का आकलन करने वाला दूसरा और तीसरा सफल प्रयोग बताया। उन्होंने कहा कि फरवरी तक राजधानी में और ट्रायल किए जाएंगे।
उनके मुताबिक 23 अक्टूबर को हुए पहले परीक्षण के बाद मंगलवार को दो और प्रयोग किए गए। यह कार्य आइआइटी कानपुर के सेसना विमान से हुआ, जो मेरठ से उड़ान भरकर दिल्ली में दाखिल हुआ। विमान ने खेकड़ा, बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग, मयूर विहार, सादिकपुर और भोजपुर से गुजरते हुए आठ फ्लेयर्स दागे और फिर मेरठ लौट गया। हर फ्लेयर का वजन करीब 2 से 2.5 किलो था और उसे लगभग ढाई मिनट तक चलाया गया। इस तरह पूरी प्रक्रिया 18 से 20 मिनट तक चली।
हवाओं की दिशा ठीक नहीं
उन्होंने कहा कि उद्देश्य अलग-अलग आर्द्रता स्तरों पर क्लाउड सीडिंग की संभावनाओं का परीक्षण करना है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक उस समय हवा की दिशा उत्तरी थी और आर्द्रता 50 प्रतिशत से भी कम थी, जो आदर्श स्थिति नहीं मानी जाती।
बता दें, क्लाउड सीडिंग एक मौसम परिवर्तन तकनीक है जिसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड जैसे यौगिक डालकर बर्फ के क्रिस्टल या वर्षा की बूंदें बनने को प्रोत्साहित किया जाता है। मंगलवार के दो ताजा परीक्षण 23 अक्टूबर को हुए पहले प्रयास के बाद किए गए। इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने 29 अक्टूबर को एक बड़े पैमाने पर परीक्षण की घोषणा की थी।
पांच क्लाउड सीडिंग परीक्षणों को मंजूरी
दिल्ली कैबिनेट ने 7 मई को कुल 3.21 करोड़ रुपये की लागत से पांच क्लाउड सीडिंग परीक्षणों को मंजूरी दी थी। यानी हर ट्रायल पर करीब 64 लाख रुपये खर्च होंगे। शुरुआत में ये प्रयोग मई–जून में होने थे, लेकिन दक्षिण-पश्चिम मानसून की वजह से इन्हें अगस्त-सितंबर तक टालना पड़ा। उस दौरान लगातार बारिश के कारण फिर से तारीख आगे बढ़ाई गई। अंततः मानसून 24 सितंबर को आधिकारिक रूप से विदा हुआ।