
डिजिटल डेस्क। केंद्र सरकार के “विशेष स्वच्छता अभियान 5.0” ने एक बार फिर सफलता की नई मिसाल कायम की है। स्वच्छता और दक्षता पर केंद्रित इस अभियान के तहत विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने कबाड़ और ई-कचरे की बिक्री से करीब 800 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है। इतना ही नहीं, इस दौरान 232 लाख वर्ग फीट ऑफिस स्पेस भी मुक्त हुआ है, जिससे सरकारी परिसरों में कार्यक्षमता बढ़ने की उम्मीद है।
अधिकारियों के मुताबिक, यह अभियान 2 से 31 अक्टूबर तक चलाया गया, जिसमें करीब 29 लाख पुरानी फिजिकल फाइल्स को हटाया गया और अनुपयोगी वस्तुओं को नीलाम कर महत्वपूर्ण राजस्व जुटाया गया।
केंद्र सरकार ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत 2021 में की थी। तब से अब तक कबाड़ और अनुपयोगी एसेट्स की बिक्री से 4,100 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई हो चुकी है। अभियान के तहत अब तक 11.58 लाख कार्यालय स्थलों को कवर किया गया है। इसका संचालन प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा किया जा रहा है।
इस बार के स्वच्छता अभियान में 84 मंत्रालयों और विभागों, जिनमें विदेशों में स्थित भारत के मिशन भी शामिल हैं, ने भाग लिया। इस बड़े पैमाने पर हुए अंतर-मंत्रालयी अभियान की निगरानी केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, के. राम मोहन नायडू और डॉ. जितेंद्र सिंह ने की।
नई दिल्ली के नेहरू पार्क से अभियान की शुरुआत करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा था कि “स्वच्छता अभियान न केवल कार्यालयों की सफाई तक सीमित है, बल्कि यह शासन की पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है।”
सरकार ने पिछले चार वर्षों में ई-कचरे और कबाड़ की बिक्री से 3,296.71 करोड़ रुपए कमाए हैं। इसी अवधि में 696.27 लाख वर्ग फीट ऑफिस स्पेस को साफ कर उपयोग में लाया गया है। साथ ही, 137.86 लाख से अधिक पुरानी फाइलें नष्ट की गईं और 12.04 लाख स्थानों पर सफाई अभियान चलाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “स्वच्छता और सुशासन” के आह्वान से प्रेरित यह अभियान अब प्रशासनिक सुधार का एक स्थायी हिस्सा बन चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न केवल सरकारी परिसरों का वातावरण बेहतर हुआ है, बल्कि ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिला है। स्वच्छता अभियान 5.0 ने यह साबित किया है कि स्वच्छता केवल सफाई नहीं, बल्कि सिस्टम सुधार और सुशासन की दिशा में एक सशक्त कदम है।