श्रम मंत्रालय वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) जमा पर मिलने वाली ब्याज दर 8.65 परसेंट बनाए रखने का इच्छुक है। रिटायरमेंट फंड की संचालक संस्था EPFO के अंतर्गत करीब 6 करोड़ खाताधारक हैं। इसी सप्ताह गुरुवार को EPFO की प्रस्तावित बैठक में इस पर फैसला लिया जाना है। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में ब्याज दर के फैसले पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) की मंजूरी मांगी जाएगी।
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए EPF पर 8.65 परसेंट की दर से ब्याज दिया गया था। इससे पहले इन ब्याज दरों में कटौती के कयास भी लगाए जा रहे थे। सूत्रों ने बताया कि अभी तक सीबीटी की बैठक का एजेंडा घोषित नहीं हुआ है और चालू वित्त वर्ष के दौरान संस्था की आय को लेकर भी कोई स्पष्ट अनुमान नहीं है। EPFO की आय के मुताबिक ही ब्याज दरों का निर्धारण होता है।
वित्त मंत्रालय EPF ब्याज दर को पब्लिक प्रोविडेंट फंड और पोस्ट ऑफिस बचत योजनाओं से जोड़ने की बात कहता रहा है। ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए श्रम मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की सहमति की आवश्यकता होती है, जबकि भारत सरकार इसकी गारंटी लेती है। इससे पहले वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 8.65 परसेंट, 2017-18 के लिए 8.55 परसेंट और 2015-16 के लिए 8.5 परसेंट रही थी।
वोडाफोन आइडिया को मिल सकता है भुगतान का आदेश
एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज द्वारा स्वमूल्यांकन के आधार पर एजीआर जमा करने के बाद वोडाफोन आइडिया पर दबाव काफी बढ़ गया है। दूरसंचार विभाग इसी सप्ताह कंपनी से बकाया भुगतान करने को कह सकता है। सुप्रीम कोर्ट में एजीआर मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च को होनी है। इससे पहले सरकार की ओर से टेलीकॉम कंपनियों को राहत मिलने की उम्मीद बहुत धूमिल है। सूत्रों के मुताबिक विभाग सभी कंपनियों से उनके असेसमेंट के मुताबिक भुगतान करने का निर्देश दे सकता है।
Posted By: Arvind Dubey
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