
डिजिटल डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। आज श्रीहरिकोटा से देश के सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3-M5 का सफल प्रक्षेपण किया गया, जिसे उसकी अद्भुत भार वहन क्षमता के कारण ‘बाहुबली’ कहा जाता है। यह रॉकेट भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए लॉन्च किया गया है। इस उपलब्धि से भारत के स्पेस प्रोग्राम में एक नया अध्याय जुड़ गया है।
CMS-03 सैटेलाइट का वजन लगभग 4410 किलोग्राम है, जिसे LVM3-M5 रॉकेट के जरिए जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेजा गया। यह उपग्रह भारत और आसपास के समुद्री क्षेत्रों में मल्टी-बैंड संचार सेवाएं प्रदान करेगा, जिससे संचार व्यवस्था और मजबूत होगी।
LVM3, जिसे GSLV Mk-III के नाम से भी जाना जाता है, इसरो का हेवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है। 43.5 मीटर ऊंचे इस रॉकेट को पूरी तरह भारतीय तकनीक से तैयार किया गया है। यह तीन चरणों वाला रॉकेट है- दो सॉलिड मोटर स्ट्रैप-ऑन (S200), एक लिक्विड प्रोपेलेंट कोर स्टेज (L110) और एक क्रायोजेनिक स्टेज (C25)। इसकी क्षमता 4000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को GTO और लगभग 8000 किलोग्राम तक को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजने की है।
यह मिशन LVM3-M5 की पांचवीं ऑपरेशनल उड़ान है। इसरो का कहना है कि इसी रॉकेट का मानवयुक्त संस्करण भविष्य में भारत के सबसे महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन में इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पहले 2018 में इसरो ने 5854 किलोग्राम वजनी GSAT-11 सैटेलाइट को फ्रेंच गुयाना से Ariane-5 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया था, लेकिन CMS-03 पूरी तरह भारत से लॉन्च होने वाला अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट बन गया है।
Kudos Team #ISRO!
India’s #Bahubali scales the skies, with the successful launch of #LVM3M5 Mission!
“Bahubali” as it is being popularly referred, LVM3-M5 rocket is carrying the CMS-03 communication satellite, the heaviest ever to be launched from the Indian soil into a… pic.twitter.com/ccyIPUxpIX
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) November 2, 2025
LVM3-M5 के सफल प्रक्षेपण से न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को बल मिला है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और बड़ा कदम साबित हुआ है। यह मिशन भविष्य में भारत के उपग्रह संचार, रक्षा और मानवयुक्त मिशनों की नींव को और मजबूत करेगा। श्रीहरिकोटा से उठे इस ‘बाहुबली’ ने भारत को अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक उड़ान भरी है।