Amit Shah on 2002 Gujarat Riots: साल 2002 के गुजरात दंगों की एक बार फिर चर्चा हो रही है। ताजा मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर उस याचिका का है, जिसमें नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों में क्लीन चिट को चुनौती दी गई। जाकिया जाफरी की इस याचिका खारिज को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब इसी मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुलकर बात की। ANI को दिए इंटरव्यूर में अमित शाह ने बताया कि किस तरह तमाम झूठे आरोपों के बावजूद नरेंद्र मोदी ने पूरी कानून प्रक्रिया का साथ दिया और शांत रहे। अब खरे सोने की तरह सबसे सामने हैं। अमित शाह ने कहा कि आज उन सभी लोगों और संस्थानों को माफी मांगना चाहिए, जिन्होंने नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाए। बकौल अमित शाह, मुझे भी नोटिस मिला था, हम सभी एसआईटी के सामने गए, पूछे गए सवालों का जवाब दिया, हमारी पार्टी के किसी कार्यकर्ता ने विरोध नहीं किया।
LIVE Amit Shah on 2002 Gujarat Riots: पढ़िए अमित शाह के इंटरव्यू की बड़ी बातें
18-19 की लड़ाई देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर, सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर, सहन करके लड़ता रहा और आज जब सत्य सोने की तरह चमकता हुआ बाहर आया है, तो आनंद ही होगा।
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मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे.. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है और आरोप क्यों लगाए गए, इसके विषय में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है।
एक प्रकार से ये आरोप राजनीति से प्रेरित है, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने ये भी सिद्ध कर दिया है। भाजपा की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ ideology के लिए राजनीति में आये हुए पत्रकार और कुछ NGOs ने मिलकर इन आरोपों को इतना प्रचारित किया और इनका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि धीरे धीरे झूठ को ही सब सच मानने लगे।
हमारी सरकार का कभी भी मीडिया के काम में दखल नहीं रहा है, न उस वक्त किया था और न आज कर रहे हैं। परंतु उस वक्त जो इकोसिस्टम बना था, उसने झूठ के पुलिंदे को इतना बड़ा हौव्वा बनाकर खड़ा कर दिया कि सभी इसके प्रभाव में आ गए।
मोदी जी से भी पूछताछ हुई थी लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था। मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए।
जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था। गुजरात सरकार ने एक दिन की भी देरी नहीं की थी और कोर्ट ने भी इसका प्रोत्साहन किया है। लेकिन दिल्ली में सेना का मुख्यालय है, जब इतने सारे सिख भाइयों को मार दिया गया, 3 दिन तक कुछ नहीं हुआ।
कितनी SIT बनी? हमारी सरकार आने के बाद SIT बनी। ये लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी। NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई UPA की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है।
पार्टी के लिए ये फैसला बहुत significant है, राजनीतिक रूप से कम है, परंतु जिस प्रकार से मेरी पार्टी के सर्वोच्च नेता को victimize करने का प्रयास किया गया।
आज कोर्ट ने उसकी धज्जियां उड़ा दी हैं। मैं मानता हूं कि ये सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट भाजपा के हर कार्यकर्ता के लिए गौरव का विषय है कि आज जो झूठे आरोप हमारे सर्वोच्च नेतृत्व पर लगाए गए थे वो सभी खारिज हो गए हैं।
HM Shri @AmitShah's interview to ANI. https://t.co/ZHWAYpkuij
— BJP (@BJP4India) June 25, 2022
Posted By: Arvind Dubey
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