देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लेकर इतिहास में कई किस्से प्रचलित हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित उनके और लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन के बीच गहरी मित्रता के किस्से रहे हैं। इन किस्सों को कई बार खारिज किया गया तो कई बार बाकायदा सबूतों के साथ किताबों, पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया।

मगर इनके संबंधों का एक किस्सा ऐसा है जो ऑन रिकॉर्ड होने के बावजूद ज्यादा प्रचलित-चर्चित नहीं हुआ।

ये किस्सा कुछ यूं है कि आजादी के बाद माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना ब्रिटेन चले गए थे जबकि भारत में पंडित नेहरू प्रधानमंत्री बन चुके थे।

ऐसे में नेहरू और एडविना के बीच बातचीत का सबसे अहम जरिया बनी चिटि्ठयां। उन दिनों भारत की सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया का विमान रोजाना नेहरू का लिखा खत लंदन ले जाता। वहां उस खत को भारत के हाई कमीशन को सौंपा जाता।

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हाई कमीशन की जिम्मेदारी होती थी कि वे खत को एडविना माउंटबेटन तक पहुंचाएं। इसी तरह एडविना का भी एक खत रोजाना हाई कमीशन के हाथों एयर इंडिया तक पहुंचता और लौटती उड़ान से उस खत को भारत पहुंचाया जाता।

यहां भी तत्कालीन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वे खतको एयर इंडिया से प्राप्त करें और नेहरू तक पहुंचाएं। ये सिलसिला लंबा चला। मगर कई बार ऐसा भी होता था कि उड़ान लेट हो जाती या खत पहुंचाने वाले अधिकारी अन्य प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते। ऐसे में खत नेहरू के पास देरी से पहुंचता तो नेहरू अधिकारियों पर जमकर बरसते।

साभार : एक जिंदगी काफी नहीं (कुलदीप नैयर)

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