देश में दो टाइम जोन की चल रही है बात, जानें वैज्ञानिकों की क्या है राय
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि IST-II टाइम जोन के राज्यों में हर साल दो लाख किलोवॉट घंटे की ऊर्जा बचत होगी।
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Publish Date: Mon, 30 Jul 2018 03:24:28 PM (IST)
Updated Date: Mon, 30 Jul 2018 07:48:03 PM (IST)

नई दिल्ली। सरकारी वैज्ञानिकों ने भारत में दो टाइम जोन का प्रस्ताव दिया है। बंगाल-असम सीमा पर यह टाइमजोन होगा, जो पूर्वोत्तर के निवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करेगा। प्रस्ताव वैज्ञानिक आधार पर आधारित है, लेकिन यह परिवर्तन तभी लागू किया जाएगा, जब सरकार ऐसा करने का फैसला करती है।
अकेले विज्ञान, सरकार को गाइड नहीं कर सकता है, जो कि यह दृष्टिकोण भी दे सकता है कि दो टाइमजोन देश को दो भागों में विभाजित कर सकता है। नई दिल्ली में नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री के वैज्ञानिकों ने 89°52' पूर्वी देशांतर को बंगाल में अलीपुरद्वार के पास दो भारतीय मानक समय (आईएसटी) में बांटने वाले क्षेत्र के रूप में मानने का प्रस्ताव दिया है।
एनपीएल के निदेशक दिनेश असवाल ने कहा कि दो टाइम जोन के निर्माण से, विशेष रूप से IST-II से पूर्वोत्तर और अंडमान-निकोबार द्वीप को लोगों को अपनी बायोलॉजिकल क्लॉक के साथ सिंक्रोनाइज होने में मदद मिलेगी। साथ ही ऊर्जा बचाने में भी यह महत्वपूर्ण होगा। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि IST-II टाइम जोन के राज्यों में हर साल दो लाख किलोवॉट घंटे की ऊर्जा बचत होगी।
यानी 1000 वाट के दो लाख वॉटर हीटर या 2,000 वाट के 10 लाख एयर कंडीशनर को एक घंटे चलाने के लिए जितनी बिजली की जरूरत होती है, वह बच सकेगी। दिनेश इस शोध के नेतृत्वकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि यह एक साइंटिफिक एक्सरसाइज है और हमें विश्वास है कि IST-II टाइम जोन में आने से लोगों को फायदा होगा, उनकी वर्क प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी और बिजली बचाने में मदद मिलेगी।