UPSC success story। संघ लोक सेवा आयोग की यूपीएससी परीक्षा-2022 के नतीजे मंगलवार को घोषित कर दिए गए हैं। नेशनल लेवल फुटबॉल खिलाड़ी रही इशिता किशोर ने यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया है, लेकिन देश की इस सबसे कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले कई ऐसे होनहार हैं, जिनके संघर्ष की कहानी आपको प्रेरित करने के साथ आंखों से आंसू भी ला सकती है। यहां पढ़ें कठिन परिस्थिति में UPSC परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले कुछ चयनित उम्मीदवारों की कहानी -
गरिमा लोहिया: 8 साल की उम्र में उठा पिता का साया
यूपीएससी परीक्षा में गरिमा लोहिया ने सेकंड पोजीशन हासिल की है। गरिमा के सिर से 8 साल की उम्र में ही पिता का साया उठ गया था। UPSC टॉपर लिस्ट में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाली गरिमा का कठिन संघर्ष से गुजरना पड़ा है। गरिमा बिहार के बक्सर जिले की रहने वाली हैं। पिता नारायण प्रसाद लोहिया की मौत का गरिमा को बहुत सदमा लगा था। गरिमा दिल्ली विश्वविद्यालय की ही छात्रा रहीं है और कोरोना लॉकडाउन में उन्होंने जमकर परीक्षा की तैयारी की थी।
अनूप बागरी: 4 बार फेल, 5वें प्रयास में बने अफसर
मध्यप्रदेश के सतना जिले के अनूप कुमार बागरी की कहानी भी आपको प्रेरित करेगी। UPSC परीक्षा में 4 बार असफल होने के पांचवे प्रयास में अनूप को सफलता मिली है। सतना के एक छोटे से गांव खड़ौरा के रहने वाली अनूप कुमारी बागरी की UPSC परीक्षा में 879 रैंक हासिल हुई है। अनूप एक मध्यमवर्गीय परिवार से है और बहन रुचि संविदा शिक्षक के रूप में काम कर रही है। साल 1995 में जन्मे अनूप बागरी ने भोपाल के LNCT कॉलेज से इंजीनियरिंग में स्नातक पास हैं। UPSC परीक्षा के दौरान भी अनूप को काफी आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा था।
स्मृति मिश्रा: कड़ी मेहनत व संघर्ष से पाई चौथी रैंक
प्रयागराज की की स्मृति मिश्रा की कहानी भी आपको प्रेरित करेगी। स्मृति ने UPSC परीक्षा में देशभर में चौथी रैंक हासिल की है। स्मृति के पिता राजकुमार मिश्रा बरेली में CO सेकेंड के पद पर तैनात हैं। स्मृति ने बचपन से देखा था कि उनके पिता कैसे जरूरतमंद लोगों की मदद करते थे। अपने पिता से ही उन्होंने UPSC में जाने की प्रेरणा ली थी। स्मृति अफसर बनकर महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए प्रयास करना चाहती है। स्मृति ने 3 साल कड़ी मेहनत कर परीक्षा में सफलता हासिल की है। सोशल मीडिया से हमेशा दूरी बनाकर रखी थी। दूसरे प्रयास में भी जब सफलता नहीं मिली तो उम्मीद नहीं छोड़ी।
सूरज तिवारी: हादसे में खो दिए हाथ-पैर, लेकिन हार नहीं मानी
मैनपुरी के सूरज तिवारी के संघर्ष की कहानी हर किसी के लिए मिसाल बन गई है। सूरज तिवारी ने बता दिया है कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो पहाड़ जैसी विपत्ति भी बौनी साबित हो जाती है। UPSC 2022 में 971वीं रैंक हासिल करने वाली सूरज के दोनों पैर और एक हाथ नहीं है। एक हाथ में भी सिर्फ 3 उंगलियां हैं। दर्जी का काम करने वाले सूरज के पिता की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। सूरज ने अपनी दिव्यांगता को सपनों के बीच में आड़े नहीं आने दिया। सूरज जब BSC कर रहे थे, तब 24 जनवरी 2017 को गाजियाबाद में ट्रेन हादसे में उनके दोनों पैर, दाएं हाथ की कोहनी और बाएं हाथ की दो उंगलियां कट गई थी।
राहुल श्रीवास्तव: 3 बार असफल, अब मिली 10वीं रैंक
UPSC परीक्षा 2022 में 10वां स्थान हासिल करने वाले राहुल श्रीवास्तव के संघर्ष की कहानी भी प्रेरणादायक है। राहुल UPSC परीक्षा में 4 बार असफल हो चुके थे। चौथे प्रयास में उन्होंने देशभर में 10वां रैंक हासिल की। मुजफ्फरपुर शहर के रहने वाले राहुल के पिता रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं। अब राहुल का पूरा परिवार पटना के चितकोहरा में रहता है। राहुल ने पटना में रहकर ही परीक्षा की तैयारी की थी। तीन बार की असफलता किसी को भी तोड़ सकती है, लेकिन राहुल ने चौथे प्रयास में रणनीति बदली और असफलता से मन को विचलित नहीं होने दिया। तैयारी के दौरान राहुल ने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखी। सिर्फ न्यूज व करेंट अफेयर्स के लिए ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे।
Posted By: Sandeep Chourey
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