बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। फाल्गुन आनंद व उल्लास का महीना है। मान्यता है कि वसंत ऋतु होने की वजह से लोगों के प्रेम संबंधों एवं व्यक्तिगत संबंधों में सुधार होने लगता है। इसलिए हर किसी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। क्रोध या रुखा व्यवहार नहीं करना चाहिए। संबंधों में मधुरता बरतने से भगवान श्री कृष्ण का विशेष आशीर्वाद मिलता है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित वासुदेव शर्मा के मुताबिक फाल्गुन को ऊर्जा और यौवन का महीना माना जाता है। इस दौरान वातावरण खुशनुमा हो जाता है और हर जगह नई उमंग छा जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह बहुत ही शुभ है। इस ऋतु में रंग-बिरंगे कपड़े पहनने चाहिए। फाल्गुन शिवजी, श्री कृष्ण और चंद्र देव की पूजा-उपासना का समय होता है। होली, महाशिवरात्रि आदि प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं।

आयुर्वेद सहित कुछ ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि इन दिनों शीतल जल से स्नान करना चाहिए। यानी न ज्यादा गर्म और न ही ज्यादा ठंडा। अनाज का प्रयोग कम और फलों का अधिक सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करें। मांस, मछली और नशे के सेवन से बचना चाहिए। व्रतियों को सबसे अधिक पुण्य फल मिलता है।

ठंडे पानी से नहाना चाहिए। वाणी पर संयम रखें और क्रोध से बचना चाहिए। बता दें कि 27 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएगा, जो सात मार्च तक रहेगा। इन दिनों शादी, शगुन की रस्में, घर प्रवेश, वाहन और घर खरीदने पर रोक लग जाती है।

नियमित करें पूजा-अर्चना

फाल्गुन माह में भक्तों को अनाज के बजाय फलाहार करना चाहिए। भगवान शिव और भगवान श्री कृष्ण की नियमित उपासना करना चाहिए। पूजा-अर्चना के दौरान सुगंधित फूल चढ़ाना चाहिए। श्री कृष्ण को गुलाल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। इस माह अधिक से अधिक दान पुण्य करना चाहिए। असहाय व निर्धन व गरीबों को भोजन कराना चाहिए।

Posted By: Manoj Kumar Tiwari

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