Chanakya Niti । आचार्य चाणक्य ने जीवन में कई चुनौतियों के सामना करने के लिए चाणक्य नीति ग्रंथ में कई सीख दी है। आचार्य चाणक्य के मुताबिक किसी शत्रु से निपटने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाना चाहिए इस बारे में विस्तार से बताया है। इस बारे में आचार्य चाणक्य ने इन 4 सूत्रों में विस्तार से जिक्र किया है -
।। आत्मछिद्रं न प्रकाशयेत् ।।
आचार्य चाणक्य के मुताबिक शत्रु को अपनी दुर्बलताओं के बारे में कभी पता नहीं चलने देना चाहिए। ऐसी कोशिश करना चाहिए कि अपनी दुर्बलताएं शत्रु के सामने उजागर न हो। इस सूत्र में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि चतुर राजा अपने शत्रु के सामने सदैव अपने आपको बलवान् प्रदर्शित करता रहे और कभी भी अपनी कमजोरी को उजागर न करें।
॥ छिद्रप्रहारिणश्शत्रवः ।।
इस सूत्र में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि शत्रु के स्वभाव को पहचानकर उसकी निर्बलता पर ही आक्रमण करना चाहिए। राजा अपने शत्रु की दुर्बलता को पहचान कर ही उस पर हमला करते हैं। ऐसे में अपने दुश्मन की निगाह में खुद को बलवान साबित करने की कोशिश करते रहना चाहिए। यदि शत्रु को अपने विरोधी की कमजोरी का पता चल जाता है तो वह आक्रमण करता है। अचानक ऐसे प्रकार से काफी नुकसान भी झेलना पड़ता है। बुद्धिमान राजा को चाहिए कि वह अपने विरोधी की दुर्बलता को जानने का प्रयत्न करे।
॥ हस्तगतमपि शत्रुं न विश्वसेत् ॥
आचार्य चाणक्य ने आगे कहा है कि विजय पाने के लिए हर राजा का कर्त्तव्य है कि अपने वश में आए हुए शत्रु पर कभी विश्वास न करे। विजय हासिल करने के बाद राजा को अपने शत्रु पर भरोसा नहीं करना चाहिए। राजा का कर्त्तव्य है कि सदैव सतर्क रहे। यदि शत्रु को किसी कारण से क्षमा भी कर दिया जाए तो भी कभी उसे अपनाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए। जो राजा ऐसा करते हैं उन्हें धोखा होता है। शत्रु उन पर आक्रमण कर देता है और वे विनाश से बच नहीं पाते । बुद्धिमान राजा का कर्तव्य है कि वह अपने पक्ष के अधिकारियों तथा संबंधित व्यक्तियों में किसी प्रकार के पापाचारपूर्ण कार्यों को देखे तो उसे समाप्त करने का प्रयत्न करे।
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Posted By: Sandeep Chourey
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