महासमुंद । महासमुंद जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर एनएच-353 से दो किमी दूर भीमखोज स्थित पहाड़ी में आदिशक्ति खल्लारी माता की पाषाण प्रतिमा स्थापित है। इसकी लोकप्रियता दूर-दूर तक है। ऊंची पहाड़ी पर सैकड़ों सीढ़ी चढ़कर भी श्रद्धालु माता दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वर्तमान में यहां 2152 मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की गई हैं।
मान्यता : प्रतिवर्ष क्वांर एवं चैत्र नवरात्र के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों का रेला इस दुर्गम पहाड़ी में दर्शन के लिए उमड़ता है। हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा के अवसर पर वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में पांडव अपनी यात्रा के दौरान इस पहाड़ी की चोटी पर आए थे, जिसका प्रमाण भीम के विशाल पदचिन्ह हैं, जो इस पहाड़ी पर स्पष्ट देखे जा सकते हैं।
ऐतिहासिक है खल्लारी मेला
हर साल यहां माता के दरबार में चैत्र माह की पूर्णिमा को मेला भरता है। तीन दिनों तक श्रद्धालुओं की निरंतर आवाजाही रहती है। वैसे तो सालभर माता का दर्शन कर मन्न्तें मांगने लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। मेला का विशेष महत्व बताया जाता है। मन्न्त पूरी होने पर माता का आभार जताने भी इस मेला में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
नवम्: सिद्धिदात्री
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सद्धिदायिनी।।
इस देवी की पूजा नौंवे दिन की जाती है। ये सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं। हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियां इनकी आराधना से प्राप्त की जा सकती हैं। भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से ये तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं।
Posted By: Sandeep Chourey
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