Festival Of Colors : हम इस बार कंडे की होली जलाएंगे, पर्यावरण को प्रदूषण से बचाएंगे। यह संकल्प लेने वाले नागरिक सामने आने लगे हैं। उनका कहना है कि कोरोना महामारी के दौर में हमने पर्यावरण शुद्धि की अहमियत को गंभीरता से समझ लिया था। प्राणवायु आक्सीजन देने वाले वृक्षों की कमी कितनी घातक हो सकती है, यह तथ्य भी समझ में आ गया था। लिहाजा, प्रथम चरण में हम सुधरेंगे-जग सुधरेगा, इस ध्येय-वाक्य को अंगीकार कर स्वयं के स्तर पर कंडे की होली जलाने का निर्णय ले लिया है। जबकि दूसरे चरण में होली पूर्व जन जागृति अभियान को भी गति दे दी है। इसके तहत अपने रिश्तेदारों, मित्रों व परिचितों को कंडे व गोकाष्ठ की होली का महत्व समझा रहे हैं। कंडे जलाने से वातावरण की शुद्धि होने का वैज्ञानिक सूत्र बता रहे हैं। इसका बेहतर नतीजा सामने आ रहा है।

पंडित वीरेंद्र दुबे ने बताया कि होलिकोत्सव का अपना विशिष्ट महत्व है। यह रात्रि बुराई के दहन की रात्रि होती है। साथ ही मौसम की संधि-बेला भी। इधर होली जली उधर शीत की विदाई और ग्रीष्म का आगमन हो जाता है। होली की अग्नि में अपनी शारीरिक व मानसिक परेशानियों व व्याधियों काे अर्पित किया जाता है। इसके लिए नारियल का राई-नोन आदि से उतारा किया जाता है। यदि यह सब लकड़ी की अग्नि में अर्पित करने की कुप्रथा से हटकर गोकाष्ठ या कंडे की अग्नि में अर्पित किया जाए तो फल अपेक्षाकृत दोगुना मिलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गोमाता के कंडों की अग्नि सामान्य काष्ठ की अग्नि से शताधिक गुना महत्वपूर्ण होती है।

रानीताल क्षेत्र में अपने पड़ोस की होली में इस बार एक सैकड़ा कंडे दान करूंगा। जबकि आसपास की पांच अन्य होलियों में अपने स्तर पर 10-10 कंडे दान करने का मन बना लिया है। अपने पडोिसियों व मित्रों को भी प्रेरित कर रहा हूं। यदि होली से पूर्व इस अभियान में सफल रहा तो इस बार पडोस सहित आसपास की होलिका समितियों की अग्नि सामान्य लकड़ी के स्थान पर कंडों से उत्पन्न हो जाएगी। इस तरह प्रदूषण पर ठोस अंकुश सुनिश्चित होगा।

-बालेंद्र कुमार तिवारी, रानीताल

गौर नदी के किनारे आधा सैकड़ा से अधिक होलिका समितियां होली स्थापित करती हैं। अरंडी के पौधे के तले होली विराजित करके प्रहलाद को बचाने पर होलिका के दहन का इंतजाम किया जाता है। इस बार मैंने तय किया है कि गोकाष्ठ की 50 लकड़ियां दान करूंगा। यदि मेेरे मित्र भी इस अभियान में मेरे साथ हो लिए तो कई होली समितियों की अग्नि पर्यावरण की शत्रु बनने के स्थान पर मित्र बन जाएंगी।

-रवींद्र श्रीवास्तव, गौर

स्टार सिटी की होली को इस बार पूरी तरह पाल्यूशन फ्री बनाने का इरादा पक्का है। इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। हर घर से कंडे का चंदा लेने का निर्णय लिया गया है। रूपये भले कम मिलें किंतु कंडे अनिवार्य कर दिए गए हैं। इसे धर्म से जोड़कर एक अनुष्ठान का रूप दे दिया है। इस वजह से लोग बाजार से कंडे खरीद कर ला रहे हैं। उन्हें पता है कि इस बार होली समिति कंडे मांगेगी।

-विनोद सराफ, करमेता

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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