पौराणिक मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में कौवे दिवंगत परिजनों के हिस्से का खाना खाते हैं, तो पितरों को शांति मिलती है और उनकी तृप्ति होती है।
लेकिन पितृ दूत कहलाने वाले कौवे आज नजर नहीं आते। बढ़ते शहरीकरण, पेड़ों की कटाई और ऊंची इमारतों के कारण प्रकृति का जो ह्रास हुआ है, उसने कौवों की संख्या को कम कर दिया है।
पितृ दूत होने का महत्व
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि कौवा एक मात्र ऐसा पक्षी है जो पितृ-दूत कहलाता है। यदि दिवंगत परिजनों के लिए बनाए गए भोजन को यह पक्षी चख ले, तो पितृ तृप्त हो जाते हैं। कौवा सूरज निकलते ही घर की मुंडेर पर बैठकर यदि वह कांव- कांव की आवाज निकाल दे, तो घर शुद्ध हो जाता है।
श्राद्ध के दिनों में इस पक्षी का महत्व बढ़ जाता है। यदि श्राद्ध के सोलह दिनों में यह घर की छत का मेहमान बन जाए, तो इसे पितरों का प्रतीक और दिवंगत अतिथि स्वरुप माना गया है।
इसीलिए श्राद्ध पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा से पकवान बनाकर कौओं को भोजन कराते हैं। हिंदू धर्मशास्त्रों ने कौए को देवपुत्र माना है और यही वजह है कि हम श्राद्ध का भोजन कौओं को अर्पित करते हैं।
श्राद्ध पक्ष में इन बातों रखें ध्यान
- श्राद्ध में भोजन के समय वार्तालाप नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धपिंडों को गौ, ब्राह्मण या बकरी को खिलाना चाहिए।
- श्राद्ध में श्रीखंड, चंदन, खस, कपूर का प्रयोग करना चाहिए।
- जिस दिन श्राद्ध करें उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। श्राद्धकर्ता को तन एवं मन दोनों से पवित्र रहना चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को पान सेवन, तेल मालिश, पराए अन्न का सेवन नहीं कराना चाहिए।
- श्राद्ध में मामा, भांजा, गुरु, ससुर, नाना, जमाता, दौहित्र, वधू, ऋत्विज्ञ एवं यज्ञकर्ता आदि को भोजन कराना शुभ रहता है।
- श्राद्ध कर्म में गेहूं, मूंग, जौ, धान, आंवला, चिरौंजी, बेर, मटर, तिल, आम, बेल, सरसों का तेल आदि का प्रयोग करना शुभ रहता है।
- श्राद्ध में कमल, मालती, जूही, चम्पा, तुलसी का प्रयोग उत्तम रहता है। जबकि बेलपत्र, कदम्ब, मौलश्री आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
बस एक क्लिक में जानिए श्राद्ध पक्ष की और अधिक जानकारी
Posted By: Amit
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
- #Shraddh Paksh 2019
- #pitru paksha 2019
- #pitru paksha
- #Shraddh Paksh Start
- #pitru paksha 2019 start date
- #श्राद्ध पक्ष
- #पितृ पक्ष