Shani-Rahu Yuti: हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग होते हैं। शुभ योगों के निर्माण से व्यक्ति धनी, भाग्यशाली होता है लेकिन अगर कुंडली में अशुभ योग बने हों तो उसे हर तरफ निराशा, अस्वस्थ्य और कड़ी मेहनत के बात भी उसे फल नहीं मिलता है। इन अशुभ योगों का योग कुछ क्रूर ग्रहों के मिलने के कारण बनता है। जिनमें से एक ग्रह योग है शनि और राहु का मिलन योग, जिसे ज्योतिष में पिशाच योग कहा जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि और राहु दोनों का जब कुंडली में मिलन होता है या फिर ये किसी राशि में बनता है तो यह ‘पिशाच योग’ कहलाता है। यह योग हर 18 साल के बाद डेढ़ साल के लिए आता है। इस योग को पिशाच योग इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दोनों ग्रह ही रात के समय बलवान होते हैं। शनि अंधेरा है तो राहु मायाजाल (भ्रम) है। ऐसे में जब ये दोनों ग्रह एक साथ आते हैं तो पिशाच योग बनता है। इसके अलावा जब-जब इन दोनों की एक दूसरे पर दृष्टि पड़ती है तब-तब पिशाच योग बनता है।

1. लग्न में शनि-राहु की युति

लग्न में शनि-राहु की युति होने पर व्यक्ति को तांत्रिक क्रियाओं का असर जल्द होता है। ऐसे व्यक्ति हमेशा परेशान और टेंशन में जीवन जीते हैं। इनके व्यक्तियों पर हमेशा नकारात्मक विचार रहते हैं।

2. कुंडली के दूसरे भाव में शनि-राहु की युति

अगर कुंडली के दूसरे भाव में इन दोनों ग्रहों की युति हो जाती है तो ऐसे लोगों के परिवार के लोग उसके शत्रु बन जाते हैं। ऐसे लोगों को परिवार का सुख नहीं मिलता, बैंक बैलेंस भी नहीं रहता। वाणी कठोर होती है।

3. तीसरे भाव में शनि-राहु की युति

जिन लोगों के तीसरे भाव में शनि-राहु की युति होती है ऐसे लोग हर समय भ्रमित रहने वाले होते हैं। भाइयों का प्यार नहीं मिलता। ऐसे लोग बहुत आलसी प्रवृत्ति के होते हैं। लेकिन अगर ये भाव में शनि-राहु बलवान स्थिति में होतो व्यक्ति पराक्रमी हो जाता है।

4. चतुर्थ भाव में शनि-राहु की युति

जब किसी व्यक्ति में चतुर्थ भाव में शनि-राहु की युति बनने पर लोगों को माता का सुख नहीं मिल पाता है। ऐसे लोगों के घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव ज्यादा रहता है। ऐसे लोगों को मकान का योग बहुत मुश्किल से होता है। इन लोगों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ सकता है।

5. पंचम भाव में शनि-राहु की युति

अगर व्यक्ति के पांचवे भाव में शनि और राहु की युति हो रही हो तो व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार बहुत आते हैं। ऐसे लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी रुकावटों का सामना करना पड़ता है। बड़े भाई बहन या संतान को कष्ट झेलना पड़ता है।

6. कुंडली के छठे भाव में शनि-राहु की युति

जब किसी व्यक्ति की कुंडली के छठे भाव में शनि-राहु की युति होती है तो यहां राशि का विचार बहुत जरुरी होता है। ऐसे लोगों को पेट में एसिडिटी की समस्याएं रहती है और पेट संबंधी बीमारियां होती रहती है। व्यक्ति को छिपे हुए शत्रुओं से बचकर रहना चाहिए। गलत संगत के कारण धन हानि होती है।

7. सातवें भाव में शनि-राहु की युति

जब किसी व्यक्ति की कुंडली के सातवें भाव में शनि-राहु होते हैं तो ऐसे लोगों की एक से ज्यादा शादी होती है। दोस्तों और परिवार के लोगों से धोखा मिलता है। इनका जीवन काफी कठिनाइयों से बीतता है। ऐसे लोगों को महिलाओं से अपमान मिलता है। हालांकि अगर ऐसे लोग धैर्य से काम लें तो कार्यक्षेत्र में सफलता भी मिलती है।

8. आठवें भाव में शनि-राहु की युति

कुंडली के आठवें भाव में यह युति बन जाती है तो ऐसे लोगों को कब्ज की बीमारी होती है। वैवाहिक जीवन हमेशा तनाव पूर्ण बना रहा है। सर्जरी करानी पड़ती है। ऐसे लोगों की आयु पर खतरा मंडराता रहता है।

9. नवम भाव में शनि-राहु की युति

ऐसे लोग धर्म के विपरीत आचरण करते हैं। भाग्य में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है। हमेशा जीवन में संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे लोगों के पिता कष्ट में जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे लोगों का भाग्योदय नहीं हो पाता है।

10. दशम भाव में शनि-राहु की युति

कुंडली के दसवें स्थान में शनि-राहु के एक साथ होने पर व्यक्ति पारिवारिक सुख से वंचित हो जाता है। ऐसे लोग कारोबार में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। माता-पिता कष्ट में रहते हैं।

11. ग्यारहवें भाव में शनि-राहु की युति

कुंडली के ग्यारहवें भाव में अगर शनि-राहु की युति बने तो यह लोग बहुत शॉर्टकट तरीके से पैसा कमाते हैं। लेकिन इन लोगों को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है। तथा भाई-बहन को भी जीवन भर कष्ट मिलता है।

12. बारहवें भाव में शनि-राहु की युति

कुंडली के 12वें भाव में अगर शनि-राहु की युति हो तो व्यक्ति अनैतिक कार्य करता है। इन व्यक्तियों को गृहस्थ सुख प्राप्त नहीं होता है और स्वास्थ्य भी ज्यादा अच्छा नहीं रहता है।

क्या करें उपाय

जिन लोगों की कुंडली में शनि-राहु का योग है तो उन्हें शिवालय में जाकर शिव पूजन करना चाहिए और रुद्राभिषेक करना चाहिए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

Posted By: Sandeep Chourey

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