सनातन धर्म में विवाह से पूर्व वर-वधू की कुंडली का मिलान किया जाता है। ज्योतिषी कुंडली देखकर यह बताते हैं कि दोनों एक दूसरे के अनुकूल हैं या नहीं। ज्योतिष के अनुसार एक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए नाड़ी का मिलान होना बहुत आवश्यक माना गया है। कुंडली में नाड़ी दोष पाए जाने पर विवाह नहीं किया जा सकता है। यह अशुभ माना जाता है। कुंडली में नाड़ी दोष होने पर भी वर-वधू का विवाह करा दिया जाए तो उन्हें जीवन भर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुंडली में किसी विशेष नक्षत्र में चंद्रमा की उपस्थिति उस व्यक्ति की नाड़ी को बताती है। स्त्री और पुरुष की कुण्डली में चन्द्रमा के अश्विनी नक्षत्र में होने पर नाड़ी दोष बनता है। ज्योतिष के अनुसार, नाड़ी तीन प्रकार की होती है।
1.आदि नाड़ी
2. मध्य नाड़ी
3. अंत्या नाड़ी
नाड़ी दोष के प्रभाव
1.नाड़ी दोष के कारण गर्भ धारण करने में कठिनाई हो सकती है।
2.नाड़ी दोष होने पर बच्चा असामान्य पैदा हो सकता है।
3.नाड़ी दोष के कारण वैवाहिक संबंध लंबे समय तक नहीं चल पाता और तलाक के योग प्रबल होते हैं।
4.नाड़ी दोष के कारण वर-वधू में से एक या दोनों की मृत्यु जैसी विपत्तियों का सामना तक करना पड़ सकता है।
नाड़ी दोष को कम करने के उपाय
1.नाड़ी दोष को दूर करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
2.नाड़ी दोष को दूर करने के लिए नाड़ी दोष निवारण पूजा की जाती है।
3.नाड़ी दोष के प्रभाव कम करने के लिए सोना, अनाज, भोजन और कपड़े जैसी चीजों का दान करना चाहिए।
4.नाड़ी दोष के प्रभाव को कम करने के लिए व्यक्ति अपने वजन के बराबर भोजन दान कर सकता है।
डिसक्लेमर
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Posted By: Navodit Saktawat
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