Chaitra Navratri 2023, Day 9, Maa Siddhidatri: चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि यानी यानी गुरुवार, 30 मार्च 2023 को मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता सिद्धिदात्री को सभी कार्यों को सिद्ध करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना से सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त होती है और लौकिक-परलौकिक सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है। मान्यता है कि सिद्धियों की प्राप्ति के लिए देव, गंदर्भ, ऋषि, असुर सभी इनकी पूजा करते हैं।
माता का स्वरूप
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा का सिद्धिदात्री स्वरूप बहुत ही अलौकिक है। माता सिद्धिदात्री गुलाबी रंग के कमल पुष्प पर विराजमान हैं। उन्होंने अपने एक हाथ में चक्र और दूसरे हाथ में गदा को धारण किया हुआ है। बाकी दो हाथों में से एक में शंख और दूसरे में कमल का पुष्प है। माता सिद्धिदात्री यह स्वरूप अपने सभी भक्तों पर दया और करुणा लुटाने वाला है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व
पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही 8 सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं। इन्हीं की वजह से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर नाम मिला, क्योंकि सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी का आधा शरीर देवी का बना। मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुई ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि 29 मार्च की रात्रि 09:07 बजे से प्रारंभ होकर 30 मार्च को रात्रि 11:30 बजे तक रहेगी। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 41 पर शुरू होगा और 5 बजकर 28 पर समाप्त हो जाएगा.
कैसे करें प्रसन्न?
देवी सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए नवमी तिथि को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करें और देवी की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें। इसे इसके गंगाजल से पवित्र करें और देवी की पुष्प, रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फल, मिष्ठान आदि से पूजा करें। इसके बाद मां सिद्धिदात्री की कथा, दुर्गा सप्तशती का पाठ या फिर मां सिद्धिदात्री मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में हवन और आरती करें। दुर्गा नवमी पर मां सिद्धिदात्री को नारियल, खीर, पुआ और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। इस दिन कन्या भोज या कन्या पूजा भी करना चाहिए। इसमें देवी को प्रसाद के रूप में पूरी, हलवा चढ़ाते हैं। मां सिद्धिदात्री का पसंदीदा रंग गुलाबी है जो प्रेम, करुणा और ताजगी का प्रतीक है।
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Posted By: Shailendra Kumar
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