Chaitra Navratri 2023: बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। 11वीं शताब्दी के मां महामाया मंदिर रतनपुर की ख्याति दूर-दूर तक है। मान्यता है कि राजा रत्नदेव प्रथम ने सबसे पहले मातारानी के अलौकिक रूप का दर्शन किया था। इसके बाद वे बेहोश भी हो गए। होश में आने पर मां के मंदिर का निर्माण शुरू कराया। इस मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। चैत्र और अश्विन माह के नवरात्र में विशेष भीड़ उमड़ती है। इस दौरान मंदिर में पैर रखने की जगह भी मुश्किल से मिलती है।

सनातन धर्म में चार नवरात्र आते हैं, जिनमें चैत्र नवरात्र को बड़ा और अश्विन को छोटा नवरात्र कहा जाता है। आषाढ़ और पौष माह में गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर रतनपुर में मां महामाया देवी का पौराणिक मंदिर है। जहां नवरात्र पर विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। इस देवी मंदिर में कुंवारी लड़कियांें की सबसे ज्यादा भीड़ जुटती है। वे सौभाग्य की कामना लिए पहुंचती हंै। रतनपुर माता मंदिर का इतिहास प्राचीन व गौरवशाली है। त्रिपुरी साम्राज्य की एक शाखा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया था। राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नामक गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाई। महामाया देवी मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11वीं शताब्दी में कराया गया था।

नागर शैली में मंदिर का निर्माण

मंदिर के प्रमुख सदस्य संतोष शर्मा के मुताबिक मां महामाया का मंदिर नागर शैली में बना है। मंदिर का मंडप 16 स्तंभों पर टिका है। भव्य गर्भग्रह में मां महामाया की साढ़े तीन फीट ऊंची दुर्लभ प्रस्तर प्रतिमा स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार मां की प्रतिमा के पृष्ठ भाग में मां सरस्वती की प्रतिमा है, जो विलुप्त मानी जाती हंै। इसके चारों ओर 18 इंच मोटा परकोटा है।

नवरात्र पर यह भी खास

- नौ दिनों तक अखंड ज्योतिकलश प्रज्जवलित

- देश-विदेश से पहुंचते हैं श्रद्धालु

- हजारों मनोकामना ज्योति कलश

- प्रात: छह बजे से मातारानी के दर्शन

- दोपहर 12 बजे भोग, आधे घंटे के लिए कपाट बंद

- सप्तमी पर पदयात्रियों को विशेष बस की सुविधा

- दर्शनार्थियों की सुरक्षा व स्वास्थ्य का ख्याल

ऐसे पहुंचें माता की नगरी

रतनपुर महामाया नगरी पहुंचने के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं हैं। सड़क, रेल और हवाई जहाज द्वारा पहुंचा जा सकता है। बिलासपुर से रतनपुर के लिए हर घंटे बस सेवा उपलब्ध है। बिलासपुर रेलवे स्टेशन से रतनपुर की दूरी 25 किलोमीटर है। इसी तरह से चकरभाठा हवाई पट्टी से लगभग 35 एवं स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर से 141 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के किसी भी कोने से यात्रा संभव है।

Posted By: Abrak Akrosh

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