रायपुर। Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रही है, जो 30 मार्च को नवमीं तिथि पर समाप्त होगी। अंतिम दिन नवरात्र पर जंवारा विसर्जन के साथ ही रामनवमीं का पर्व श्रद्धा-उल्लास से मनाया जाएगा। नवरात्र की खास बात यह है कि नवरात्र से एक दिन पहले पंचक लगेगा। पंचमी तिथि तक पंचम काल में देवी आराधना की जाएगी। पंचक काल को पूजा-अर्चना के लिए शुभ माना जाता है।

नौका पर सवार होकर आ रही देवी

ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार मां दुर्गा का आगमन नाैका पर हो रहा है। मां दुर्गा का आगमन यदि नौका पर होता है तो इसे शुभदायी माना जाता है। यह नवरात्र देवी भक्तों के लिए और राज्य, देश के लिए शुभदायी होगा।

घट स्थापना का मुहूर्त

चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात्रि 10.52 से शुरू होकर 22 मार्च की रात्रि 8.20 बजे तक रहेगी। चूंकि सूर्योदय पर पड़ने वाली तिथि को महत्व दिया जाता है, इसलिए प्रतिपदा तिथि 22 मार्च को मनाई जाएगी। मंदिरों में सुबह 6.23 से 7.32 बजे तक और घर-घर में अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.05 से 12.35 बजे के मध्य घट स्थापना की जाएगी।

मंदिरों में जोत प्रज्वलन 701 रुपये

पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर, शीतला मंदिर, कंकाली मंदिर, काली मंदिर, बंजारी मंदिर समेत अनेक देवी मंदिरों में जोत प्रज्वलन के लिए पंजीयन किया जा रहा है। जोत प्रज्वलन के लिए 701 रुपये की राशि निर्धारित की गई है।

हिंदू नववर्ष का शुभारंभ

हिंदू नववर्ष का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर होता है, हिंदू नववर्ष यानी हिंदू संवत्सर का शुभारंभ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 मार्च से हो रहा है।

मकर राशि में शनि-मंगल

हिंदू संवत्सर के शुभारंभ अर्थात चैत्र नवरात्र पर मकर राशि में शनि और मंगल ग्रह की युति शुभकारक है। दूसरी ओर कुंभ राशि में गुरु और शु्क्र ग्रह हैं। साथ ही मीन राशि में सूर्य और बुध ग्रह की युति होने से बुधादित्य याेग का संयोग बन रहा है। इसके अलावा मेष राशि में चंद्रमा, वृषभ में राहु और वृश्चिक में केतु विराजमान होगा। देश के पराक्रम और गौरव में वृद्धि होगी।

अनेक योगों का संयोग

नवरात्र के दौरान रवि पुष्य नक्षत्र का संयोग है। इसके अलावा सर्वाथिसिद्धि योग और रवि योग का भी संयोग है। इन संयाेगों में किया गया कार्य सफलता प्रदान करेगा।

Posted By: Ashish Kumar Gupta

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