नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। श्रीहरि, शिवजी के साथ प्रकृति पूजा का पर्व हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya 2025) आज मनाया जा रहा है। हरियाली अमावस्या पर कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष जैसे कष्टकारी दोषों के निवारण के उपाय किए जा रहे हैं। इस बार हरियाली अमावस्या पर गुरु पुष्य योग सहित कई शुभ योग भी बनने जा रहे हैं। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इन योगों में पूजन करने से अक्षय फल मिलेंगे।
हरियाली अमावस्या पर पितृदोष के निवारण के लिए भी उपाय किए जाएंगे। श्रद्धालु पूजा पाठ, पितृ तर्पण, दान के साथ ही पेड़-पौधे लगाएंगे और पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेंगे। भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा की जाएगी। महिला संगठन हरित परिधानों में पूजन के साथ पौधरोपण कर ग्रीन थीम पर यह पर्व मनाने की तैयारी में हैं।
इस वर्ष हरियाली अमावस्या पर कई शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिर्विद डॉ. संदीप शुक्ला के अनुसार हरियाली अमावस्या पर 25 वर्ष बाद अमृतसिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और हर्षण योग का शुभ संयोग बन रहा है। हर्षण योग सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक है। गुरु पुष्य योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से एवं सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग दिन भर है। अमृत सिद्धि योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से है। पुनर्वसु नक्षत्र शाम 04 बजकर 43 मिनट तक है।
हरियाली अमावस्या के दिन श्रद्धालु व्रतधारियों ने ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान किया। इसके बाद भगवान विष्णु (Lord Vishnu and Shiv Puja Vidhi) को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लिया है। सुबह सूर्य देव को जल का अर्घ्य दिया। श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान के दौरान हथेली में तिल रखकर बहती जलधारा में प्रवाहित कर रहे हैं। पंचोपचार के बाद विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी। विष्णु चालीसा का पाठ और विष्णु स्तोत्र का जाप किया जा रहा है। पूजा के बाद दान-पुण्य करना बताया गया है।
हरियाली अमावस्या पर पितरों की पूजा की जाएगी। पितरों को जलांजलि देकर प्रसन्न करने के उपाय किये जाएंगे। पितृदोष निवारण के लिए भी पूजन व दान होगा। नर्मदा किनारे पितृकर्म करने के लिए लोग उमड़े हैं। मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को जलांजलि देने से पितृकर्म में हुई भूलचूक के दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।
आचार्य शुक्ला के अनुसार, हरियाली अमावस्या के दिन पूजन (Hariyali Amavasya 2025 Puja Vidhi) के लिए शुभ ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 15 मिनट से 04 बजकर 57 मिनट तक, विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक हैं। निशिता मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है।