Kumbh Mela 2021: पौराणिक महत्व की द़ृष्टि से देश के प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों का महत्व एक स्थापित सत्व है तथा सतयुग में देवासुर संग्राम की पौराणिक गाथा भी एक तथ्य है। देवता और असुर आपस में लड़ते-लड़ते जब त्रस्त हो गए तब देवताओं की ओर से उनके गुरु बृहस्पति और दैत्यों (असुरों के गुरु) शुक्राचार्य को भगवान नारायण का आदेश हुआ, 'दोनों पक्षों में संधि हेतु प्रयास करो और दोनों एक रचनात्मक कार्य संपादित करने का प्रयास करें ताकि दोनों की शक्ति संघर्ष की अपेक्षा रचनात्मकता में लगे और समाज के लिए अच्छे कार्य का सूत्रपात हो। समाज में सुख, शांति, समृद्धि का उपक्रम आरंभ हो।' भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन का प्रस्ताव दिया। देवता और असुरों ने मिलकर वासुकी नाग, मंदराचल पर्वत, समुद्र का आश्रय लेकर समुद्र मंथन किया जिससे 14 रत्न निकले। जब अमृत कलश निकला, तो अमृतपान के लिए देवता और दैत्यों में कलश छीनने के लिए फिर संघर्ष आरंभ हुआ। इसी मध्य गरुड़ जी ने अमृत कलश अपने सशक्त पंजों में दबाया और उसे आकाश में लेकर उड़ गए और उन्होंने पृथ्वी के चार स्थानों पर क्रमश: नासिक, उज्जैन, प्रयाग और हरिद्वार में वहां की भूमि पर विश्राम किया।
जब गरुड़ जी आकाश से धरती पर उतरते कलश में भरा हुआ अमृत उनके उतरने में छलक जाता है। ये बूंदें जब-जब छलकती, तब-तब 12 राशियों के मध्य सूर्य का प्रवेश होता। इस घटना के साक्षी बनते सूर्य सर्वत्र एक संयोग बनाते गए। यही अमृत छलकने के शुभ मुहूर्त हुए। इस कारण पृथ्वी ब्रहांड के मनुष्यों तथा आधिदैविक शक्तियों के प्रतीक देवता तथा अन्य प्रकार की अदृश्य योनियों में जन्म लेने वाले जीव इन तीर्थों में आकर यहां की प्रवाहमान सरिताओं में स्नान करते संतों-ऋषि मुनि महात्माओं का सतसंग कर अपने जीवन का अमर पाथेय ग्रहण करते हैं।
मनुष्यों के लिए एक मास तक चलने वाले इस कुंभ महापर्व को सनातन जीवन मूल्यों की मास पर्यंत की कार्यशाला या जीवन मूल्यों को आत्मसात करने वाला अभ्यास वर्ग भी कह सकते हैं। जो 12-12 वर्षों में नवोदित मानव पीढ़ी के लिए आवश्यक है।
Posted By: Arvind Dubey
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
- #Kumbh Mela 2021
- #Haridwar Kumbh Mela 2021
- #Kumbh Mela Kab Hai
- #Prayag
- #Haridwar
- #Nashik
- #Ujjain
- #हरिद्वार कुंभ मेला